India News (इंडिया न्यूज), Shri Ram ka Dhanush: प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में धनुष-बाण का विशेष महत्व रहा है। भगवान श्रीराम का धनुष, जिसे ‘कोदंड’ कहा जाता था, एक दिव्य और चमत्कारी अस्त्र था। यह धनुष इतना शक्तिशाली था कि इसे धारण करना और संधान करना किसी सामान्य योद्धा के लिए संभव नहीं था। इसीलिए श्रीराम को ‘कोदंडधारी’ भी कहा जाता है।

कोदंड धनुष का निर्माण और विशेषताएँ

‘कोदंड’ का अर्थ है बांस से बना हुआ धनुष। यह कोई साधारण धनुष नहीं था, बल्कि इसे मंत्रों और विभिन्न अनुष्ठानों द्वारा पवित्र किया गया था। भगवान राम के धनुष की कुछ खास विशेषताएँ थीं:

  1. चमत्कारी शक्ति: जब भगवान राम अपने धनुष से बाण चलाते थे, तो वह लक्ष्य को भेदने के बाद वापस उनके तरकश में लौट आता था। यह गुण इसे अन्य धनुषों से अलग बनाता था।
  2. विशाल आकार: कोदंड धनुष इतना विशाल और शक्तिशाली था कि इसे साधारण मनुष्य धारण भी नहीं कर सकता था। केवल पराक्रमी योद्धा ही इसे उठाने और संधान करने में सक्षम थे।
  3. दिव्य अभिमंत्रण: भगवान राम के बाण केवल साधारण बाण नहीं थे, बल्कि वे विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित होते थे। इससे उनकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती थी।

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कोदंड का प्रयोग और महत्व

भगवान राम ने इस धनुष का उपयोग कई महत्त्वपूर्ण युद्धों में किया।

  • ताड़का वध: ऋषि विश्वामित्र के साथ जाते समय, भगवान राम ने कोदंड धनुष से ताड़का राक्षसी का वध किया था।
  • राक्षसों का नाश: विश्वामित्र द्वारा दिए गए दिव्यास्त्रों के साथ राम ने इस धनुष का प्रयोग करते हुए कई राक्षसों का संहार किया।
  • लंका विजय: राम ने लंका युद्ध में कोदंड धनुष का उपयोग कर रावण की सेना का नाश किया और अंततः रावण का वध किया।

श्रीराम का कोदंड के साथ स्वरूप

भगवान राम का चित्रण कोदंड धनुष के साथ किया जाता है। दक्षिण भारत में विशेष रूप से कोदंड राम की मूर्तियाँ और चित्र प्रसिद्ध हैं, जहाँ उन्हें धनुष-बाण के साथ दिखाया जाता है। यह प्रतीक है उनकी वीरता, धर्मपरायणता और न्यायप्रियता का।

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कोदंड से जुड़ी मान्यताएँ

  • ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति भगवान राम के ‘कोदंड’ स्वरूप का ध्यान करता है, उसे सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • कोदंड धनुष की महिमा का वर्णन कई ग्रंथों में किया गया है, विशेष रूप से रामायण और रामचरितमानस में।

भगवान राम का कोदंड धनुष केवल एक हथियार नहीं था, बल्कि यह उनकी दिव्यता, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक था। इस धनुष की विशेषता और इसके प्रयोग की कथा हमें धर्म, वीरता और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

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