(इंडिया न्यूज़): विवाह पंचमी इस साल 28 नवंबर 2022 को है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन विवाह पंचमी मनाई जाती है. ये दिन हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि इस पावन तिथि पर भगवान राम और माता सीता विवाह के बंधन में बंधे थे. कहते हैं कि जो इस दिन राम और सीता का विवाह अनुष्ठान, पूजा पाठ, करता है उनके दांपत्य जीवन की हर परेशानियों से राहत मिलती है. कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर सीता-राम की आराधना करती हैं. ये दिन वैसे तो बहुत शुभ है लेकिन इस दिन शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य करना वर्जित हैं. आइए जानते हैं क्यों.
विवाह पंचमी पर क्यों नहीं होती शादियां ?
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और माता सीता को आदर्श पति-पत्नी के रूप में जाना जाता है. विवाह पंचमी के दिन राम जी ने मां सीता को अपनी जीवनसंगनी बनाया था, लेकिन मान्यता अनुसार विवाह के बाद जनक दुलारी सीता जी का जीवन कष्टों से भरपूर रहा. पग-पग में उन्हें पीड़ा झेलनी पड़ी. शादी के बाद 14 साल तक उन्होंने पति संग वनवास में गुजारे.
ऐसा रहा विवाहोपरांत मां सीता का जीवन
देवी सीता ने सदा पत्नी धर्म निभाते हुए तमाम घोर समस्या का सामना किया. राजा जनक के महल में पली-बढ़ी सीता ने वनवास के दौरान कई परेशानियां देखी. इसके बाद लंकापति रावण ने सीता का अपहरण कर लिया. यहां उन्हें पति से वियोग का दर्द सहना पड़ा. श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर सीता को रावण से छुड़ा लिया लेकिन इसके बाद उन्होंने देवी सीता का परित्याग कर दिया. खुद को सही साबित करने के लिए देवी को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी. गर्भवस्था के समय सीता जी ने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली. वहीं माता सीता ने अपने दोनों पुत्रो लव-कुश को जन्म दिया.
धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने अपना वैवाहिक जीवन में दुख-दर्द में ही निकाला.यही वजह है कि इस दिन लोग अपने बेटियों का विवाह करने से परहेज करते हैं. उनमें ये भाव है कि कहीं इस तिथि पर विवाह करने से कहीं बेटी को भी सीता जी के समान कष्टों से न गुजरना पड़े.