India News (इंडिया न्यूज), Ramayan: शास्त्रों में शनि ग्रह की दृष्टि को अत्यधिक घातक माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जब भी किसी व्यक्ति पर शनि देव की बुरी दृष्टि पड़ती है, तो उसकी परेशानियां और दुखों का दौर शुरू हो जाता है। यही कारण है कि लोग शनि ग्रह से डरते हैं और इसके प्रभाव से बचने के उपायों की तलाश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि देव को प्रसन्न करना बहुत सरल है? महज शनि देव की स्तुति या उनके मंत्रों का जाप करने से वे शांत हो सकते हैं।

शनि देव और राजा दशरथ से जुड़ी एक पौराणिक कथा इसका प्रमाण है, जिसमें राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न कर तीन वरदान प्राप्त किए थे। तो आइए जानते हैं इस कथा के बारे में, जो पुराणों में वर्णित है।

24 मई को न्याय के देवता की इस तरह पूजा करने से हर इच्छा होगी पूरी, साथ ही ये आसान उपाय से भोलेनाथ का भी मिलेगा आशीर्वाद

राजा दशरथ की चिंता और ज्योतिषियों का कथन

कहा जाता है कि एक बार राजा दशरथ ने अपने महल में ज्योतिषाचार्यों को बुलवाया। ज्योतिषाचार्यों ने उन्हें एक नकारात्मक भविष्यवाणी सुनाई, जिसमें कहा गया था कि शनि देव कृत्तिका नक्षत्र के अंत में हैं और रोहिणी नक्षत्र को पार करेंगे। इसका नकारात्मक असर पृथ्वी पर पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शनि देव के इस मार्ग परिवर्तन से 12 वर्षों तक सूखा और अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

राजा दशरथ इस भविष्यवाणी से बहुत चिंतित हुए और इस समस्या का समाधान खोजने के लिए अन्य महर्षियों से सलाह लेने लगे। हालांकि महर्षियों ने भी कहा कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं है, फिर भी राजा ने हार नहीं मानी और स्वयं शनि देव से मिलने का निर्णय लिया।

Shukra Gochar: 31 मई को होगा शुक्र गोचर, इन 3 चुनिंदा राशियों वाले जातकों का होगा शुभ समय स्टार्ट

राजा दशरथ का साहस और शनि देव से वरदान

राजा दशरथ ने अपना दिव्य रथ निकाला और सूर्यलोक के पार नक्षत्र मंडल में पहुंचे। वहां उन्होंने शनि देव को देखा और दिव्य अस्त्र लेकर उन पर चलाने का प्रयास किया। शनि देव ने राजा से पूछा, “आप ये क्या कर रहे हैं?” राजा दशरथ ने उन्हें पूरी कहानी बताई, और शनि देव ने उनके साहस की सराहना की। शनि देव ने राजा को प्रसन्न होकर एक वरदान देने की पेशकश की।

राजा दशरथ ने पहला वरदान यह मांगा कि जब तक सूर्य और चंद्रमा हैं, तब तक शनि देव रोहिणी नक्षत्र को नहीं भेदेंगे। शनि देव ने उन्हें यह वरदान दे दिया। इसके बाद, राजा दशरथ ने दूसरा वरदान मांगा कि धरती पर 12 वर्षों तक सूखा और अकाल न पड़े। शनि देव ने यह वरदान भी दे दिया।

राजा दशरथ ने शनि देव की स्तुति की और उनके साथ एक गहरा संबंध स्थापित किया। शनि देव प्रसन्न होकर तीसरा वरदान देने के लिए तैयार हो गए। राजा ने कहा कि वे चाहते हैं कि शनि देव कभी किसी को भी दुख न दें। लेकिन शनि देव ने यह कहा कि उनका काम बुरे कर्मों के फलस्वरूप लोगों को कष्ट देना है। हालांकि, शनि देव ने यह भी कहा कि जो लोग शनि देव की स्तुति करेंगे, वे कभी भी कष्ट से नहीं बचेंगे।

घर में लगीं तुलसी माता दे रही हैं 7 पुश्तों के विनाश का संकेत? पहचान कर तुरंत करें ये काम वरना पड़ेगा पछताना

शनैश्चर स्तोत्रम् का महत्व

राजा दशरथ ने शनि देव की स्तुति की, जिसे “शनैश्चर स्तोत्रम्” के नाम से जाना जाता है। इस स्तुति को पढ़ने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और शनि के कष्टों से बचाव होता है। शनि देव ने यह वादा किया कि जो लोग नियमित रूप से इस स्तुति का पाठ करेंगे, उनके जीवन में कोई भी शनि संबंधित परेशानी नहीं आएगी।

शनैश्चर स्तोत्रम् – यह एक विशेष स्तोत्र है जिसे शनि देव की पूजा और स्तुति के लिए पढ़ा जाता है। इसे शनिवार के दिन विशेष रूप से पढ़ने से शनि ग्रह के प्रभाव को शांत किया जा सकता है।

इस पौराणिक कथा से यह स्पष्ट है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हमें केवल अपनी श्रद्धा और साहस से काम करना चाहिए। यदि आप हर शनिवार को शनैश्चर स्तोत्रम् का पाठ करेंगे, तो शनि देव की कृपा आप पर बनी रहेगी और आप शनि के बुरे प्रभाव से बच पाएंगे।

तो, अगली बार जब भी आप शनि ग्रह से जुड़े किसी दुष्प्रभाव से घबराएं, याद रखें राजा दशरथ की तरह साहस और श्रद्धा से शनि देव की स्तुति करना सबसे प्रभावी उपाय हो सकता है।

आखिर क्यों सबसे पहले युधिष्ठिर ने ही सबसे पहले चौसर खेल में द्रौपदी को लगाया था दांव पर? महाभारत के इस पन्ने का कितना सच जानते है आप!