India News (इंडिया न्यूज), Ramayan Facts: जब रावण माता सीता का अपहरण कर अशोक वाटिका ले गया, तो माता सीता भूख से व्याकुल थीं। परंतु उन्होंने रावण के अधर्म से कमाए अन्न को खाने से मना कर दिया। इस परिस्थिति को देखते हुए, ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव के माध्यम से दिव्य खीर भेजी। इंद्र ने यह खीर छलपूर्वक राक्षसों को खिलाई, जिससे वे गहरी नींद में सो गए। इसके बाद ब्रह्मा जी के आग्रह पर माता सीता ने इस दिव्य खीर का सेवन किया, जिससे उनकी भूख और प्यास शांत हो गई।
रंभा ने रावण को दिया था शाप
रावण अपनी मायावी शक्तियों के कारण कहीं भी पहुंच सकता था। एक बार वह स्वर्गलोक में रंभा नामक अप्सरा पर मोहित हो गया। रंभा ने रावण को यह समझाने की कोशिश की कि वह उसके भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर की प्रेमिका है और इस नाते उसकी पुत्रवधु समान है। लेकिन रावण ने उसकी बात को अनसुना कर उसके साथ दुराचार किया। रंभा ने रावण को शाप दिया कि यदि भविष्य में वह किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध स्पर्श करेगा, तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे। इसी शाप के कारण रावण ने माता सीता को कभी स्पर्श नहीं किया।
गिद्धराज जटायु के पिता सूर्यदेव के सारथी अरुण थे
गिद्धराज जटायु, जिन्होंने माता सीता को बचाने का प्रयास किया था, उनके पिता अरुण सूर्यदेव के रथ के सारथी थे। जटायु की वीरता और त्याग की कहानी रामायण में अमर है। उनकी मृत्यु के बाद भगवान श्रीराम ने गोदावरी नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया। छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में आज भी गिद्धराज जटायु का एक प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
33 करोड़ नहीं, केवल 33 देवी-देवता
हिंदू धर्म में प्राय: 33 करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख होता है, लेकिन यह एक भ्रांति है। रामायण के अरण्यकांड के 14वें सर्ग के 14वें श्लोक में यह स्पष्ट किया गया है कि केवल 33 कोटि (प्रकार) के देवी-देवता हैं। इनमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विनी कुमार सम्मिलित हैं। यह संख्या प्रतीकात्मक है और इसे भौतिक रूप से करोड़ों देवी-देवताओं के रूप में समझना एक गलत धारणा है।
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शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन दिया था शाप
रावण की बहन शूर्पणखा राजा कालकेय के सेनापति विद्युतजिव्ह से प्रेम करती थी और उससे विवाह करना चाहती थी। लेकिन रावण ने राजा कालकेय के राज्य पर विजय प्राप्त करने के दौरान विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। यह जानते हुए भी कि उसकी बहन विद्युतजिव्ह से प्रेम करती है, उसने अपनी महत्वाकांक्षा को प्राथमिकता दी। शूर्पणखा ने अपने प्रेमी की मृत्यु पर मौन विलाप किया और रावण को मन ही मन शाप दिया कि उसका परिवार और कुल उसके कारण ही नष्ट होगा।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण न केवल श्रीराम के आदर्शों की गाथा है, बल्कि इसमें कई अनसुने और रोचक पहलू भी छिपे हुए हैं। इन कहानियों के माध्यम से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उनसे प्रेरणा लेने का अवसर मिलता है।