India News (इंडिया न्यूज), Story of Ravan’s Fear From Trijata: विभीषण की पुत्री त्रिजटा का नाम भारतीय धार्मिक ग्रंथों में साहस, दया, और निष्ठा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। रामायण के कथानक में त्रिजटा का चरित्र अद्वितीय है। वह एक ऐसी नायिका थीं, जो न केवल सीता माता के प्रति अपनी वफादारी और समर्पण के लिए जानी जाती हैं, बल्कि उनकी दिव्य शक्तियों और सत्य के प्रति अडिग विश्वास के कारण स्वयं रावण भी उनसे भयभीत रहता था। आइए, त्रिजटा के व्यक्तित्व और उनके कार्यों को विस्तार से समझते हैं।
त्रिजटा कौन थीं?
त्रिजटा विभीषण की पुत्री थीं, जिन्हें उनकी दयालुता, सौंदर्य और बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता था। उनकी माता का नाम शर्मा था। वह राक्षस कुल में जन्मी होने के बावजूद, उनके गुण और आचरण उन्हें बाकी राक्षसों से अलग बनाते थे। त्रिजटा ने धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया था।
अशोक वाटिका में त्रिजटा की भूमिका
जब सीता माता अशोक वाटिका में बंदी थीं, तब वहां की अन्य राक्षसियां उन्हें रावण से विवाह करने के लिए डराती-धमकाती थीं। ऐसे समय में त्रिजटा ने देवी सीता का साथ दिया। उन्होंने उन राक्षसियों को फटकार लगाई और उनसे माफी मांगने को कहा। त्रिजटा ने देवी सीता का मनोबल बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया।
त्रिजटा का भविष्यसूचक स्वप्न
त्रिजटा ने एक भविष्यसूचक स्वप्न देखा था, जिसमें उन्होंने लंका को जलते हुए और एक वानर (हनुमान) को लंका का विध्वंस करते हुए देखा। इस स्वप्न में भगवान राम और हनुमान देवी सीता को बचाने आते हैं। इस भविष्यवाणी ने त्रिजटा को यह विश्वास दिलाया कि अधर्म का नाश निश्चित है और रावण का अंत निकट है। उन्होंने यह स्वप्न सीता माता को सुनाया और उन्हें धैर्य बनाए रखने की सलाह दी।
रावण का त्रिजटा से भय
त्रिजटा की दिव्य शक्तियां और सत्य की ओर उनका झुकाव रावण के लिए चिंता का विषय थे। रावण जानता था कि त्रिजटा जो भी कहती थीं, वह सच होता था। उनका भगवान विष्णु के प्रति प्रेम और उनकी पूजा करना भी रावण को असहज करता था। राक्षस कुल का प्रमुख होते हुए भी रावण को त्रिजटा की सत्यनिष्ठा और दिव्य शक्तियों से डर था।
त्रिजटा की शिक्षा और शक्तियां
त्रिजटा अस्त्र-शस्त्रों और जादुई शक्तियों में प्रवीण थीं। वह धर्म के मार्ग पर चलने वाली एक साहसी स्त्री थीं, जिन्होंने अपने कर्मों से यह सिद्ध किया कि सच्चाई और निष्ठा हर परिस्थिति में विजय प्राप्त कर सकती है। वह देवी सीता को हर घटना की जानकारी अपनी दिव्य शक्तियों से देती थीं, जिससे सीता को हर कठिनाई का सामना करने में मदद मिलती थी।
त्रिजटा का चरित्र यह संदेश देता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति का साथ हमेशा ईश्वर देते हैं। उनकी दयालुता, सत्यनिष्ठा और साहस आज भी प्रेरणा देते हैं। रावण जैसा शक्तिशाली राक्षस भी त्रिजटा से भय खाता था, क्योंकि वह जानता था कि उनके भीतर सत्य की शक्ति है, जो अधर्म को पराजित कर सकती है।
त्रिजटा का योगदान रामायण की कथा में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है। उनका चरित्र यह सिखाता है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते रहना ही सच्ची विजय है।
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