India News( इंडिया न्यूज़ ) :  सावन का महीना हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण मास है, जिसे बहुत ही श्रद्धा से मनाया जाता है। इस महीने में अनेक धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। और अनेक व्रत और परंपराओं का पालन किया जाता है। इस महीने में भक्ति, ध्यान और शुद्धता के महत्व को बढ़ावा दिया जाता है। यहां कुछ कारण बताए जाते हैं। जिनके वजह से सावन में प्याज और लहसुन नहीं खाए जाते हैं।

पवित्रता के लिए

सावन के महीने में यह मान्यता है। कि श्रीकृष्ण जी और भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत का पालन किया जाना चाहिए। इसलिए, भक्तों द्वारा अन्याय से बचने के लिए जैसे-जैसे यह दिन बढ़ते हैं, वे लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करते हैं। इसे अपवित्र माना जाता है। और दूर रहा जाता है।

पारम्परिक भोजन

सावन के महीने में बहुत से लोग सात्विक आहार, जैसे फल, सब्जियां, दूध, दही, गिरी, मखाने आदि का सेवन करते हैं। यहां प्याज और लहसुन, जो तामसिक आहार माने जाते हैं। इस लिए इसे नहीं खाया जाता है। सात्विक आहार के सेवन से शरीर और मन को शुद्धि मिलती है। और ध्यान को बढ़ावा मिलता है।

स्वास्थ्य संबंधित कारण

कई लोगों को प्याज और लहसुन के सेवन से ज़्यादा गर्मी और एसिडिटी होती है। विशेष रूप से गर्मी में, यह दोनों सब्जियां तेजाब का कारण बन सकती हैं। और पाचन क्रिया पर असर डाल सकती हैं। इसलिए, सावन के महीने में लोग इन्हें नहीं खाते हैं ताकि सेहत पर कोई बुरा प्रभाव न हो।

धार्मिक आदतों का पालन

सावन के महीने में कुछ लोग ब्रह्मचर्य, ब्रम्हचारिणीता और त्याग के पालन के लिए व्रत रखते हैं। इन व्रतों के दौरान, प्याज और लहसुन का सेवन किया जाना त्याग को तोड़ सकता है। क्योंकि इन्हें तामसिक भोज्य पदार्थों के रूप में माना जाता है। इन सभी कारणों से सावन के महीने में प्याज और लहसुन का सेवन नहीं किया जाता है।

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