India News (इंडिया न्यूज), Child Funeral Hinduism: हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति के लिए दाह संस्कार को अनिवार्य प्रक्रिया माना गया है। लेकिन 5 साल से कम उम्र के बच्चों का दाह संस्कार नहीं किया जाता। इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कारण छिपे हैं। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताएं

हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर छोड़कर नए जन्म के चक्र में प्रवेश करती है। दाह संस्कार इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए किया जाता है।

पवित्र और निष्पाप आत्मा

धर्मग्रंथों के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की आत्मा पवित्र और निष्पाप होती है। इन्हें पाप और कर्म बंधन से मुक्ति की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उन्होंने अभी तक जीवन के जटिल कर्म चक्र में प्रवेश नहीं किया है। इसी कारण उनका दाह संस्कार करने की बजाय उन्हें दफनाने की परंपरा है।

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आत्मा की सहज मुक्ति

मान्यता है कि छोटे बच्चों की आत्मा बिना किसी विशेष प्रक्रिया के सीधे नए जन्म में प्रवेश कर सकती है। अग्नि में जलाने की आवश्यकता केवल उन आत्माओं के लिए होती है जिन्हें पाप और कर्मों से मुक्त करना होता है।

अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

बच्चों के लिए दाह संस्कार क्यों नहीं?

धर्म विशेषज्ञों के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों का दाह संस्कार नहीं किया जाता। उनका शरीर शांतिपूर्ण और पवित्र स्थान पर, जैसे नदी किनारे या किसी हरित क्षेत्र में, दफनाया जाता है। यह प्रक्रिया सरल और शांतिपूर्ण होती है।

दाह संस्कार की आयु सीमा

सामान्यतः 5 साल की आयु के बाद दाह संस्कार अनिवार्य हो जाता है। इस आयु के बाद व्यक्ति जीवन के कर्म चक्र में प्रवेश करता है, और उसकी आत्मा को मुक्ति के लिए विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।

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सामाजिक और भावनात्मक पहलू

परिवार के लिए भावनात्मक सहारा

छोटे बच्चों की मृत्यु परिवार के लिए अत्यधिक पीड़ादायक होती है। दाह संस्कार की जटिल और तीव्र प्रक्रिया के बजाय, दफनाने की सरल विधि परिवार को कुछ हद तक भावनात्मक शांति प्रदान करती है। यह प्रक्रिया शोक संतप्त परिवार को दुख के समय में एक सरल और सहज मार्ग देती है।

सामाजिक प्रभाव

यह परंपरा सामाजिक रूप से भी स्वीकार्य और समावेशी है। छोटे बच्चों को पवित्र मानते हुए उनके लिए एक सरल और सम्मानजनक अंतिम संस्कार का प्रावधान रखा गया है।

हिंदू धर्म में बच्चों के अंतिम संस्कार के विशेष नियम गहरी धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित हैं। इन परंपराओं का उद्देश्य छोटे बच्चों की आत्मा को सहजता और शांति के साथ नए जन्म में प्रवेश दिलाना है। हालांकि, इन मान्यताओं पर अंतिम निर्णय लेने से पहले धर्म विशेषज्ञों और परिवार के बुजुर्गों से परामर्श करना उचित होता है।

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