इस दिन चांद के नीचे क्यों रखा जाता है खीर का कटोरा…क्या वाकई उसकी रोशनी में छिपा होता है अमृत, पुराणों में किया गया है जिक्र!
Chand Ki Roshni Mein Kheer: इस दिन चंद्र देवता अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होते हैं, जिससे पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है। चंद्रमा को मन और औषधि के देवता माना गया है, इसलिए इस दिन उनकी उपासना से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ होता है।
India News (इंडिया न्यूज), Chand Ki Roshni Mein Kheer: शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखती है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 16 अक्टूबर 2024 को पड़ रहा है। इस दिन चंद्र देव अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होते हैं और देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, विशेषकर धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के संदर्भ में। इस दिन खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखने और उसका सेवन करने की परंपरा है, जिसे विशेष स्वास्थ्य लाभकारी माना गया है।
शरद पूर्णिमा 2024 की तिथि और मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 16 अक्टूबर 2024, सुबह 12:19 बजे
पूर्णिमा तिथि का समापन: 17 अक्टूबर 2024, दोपहर 04:56 बजे
चंद्रमा की विशेष स्थिति: इस दिन चंद्र देवता अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होते हैं, जिससे पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है। चंद्रमा को मन और औषधि के देवता माना गया है, इसलिए इस दिन उनकी उपासना से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ होता है।
धन की देवी लक्ष्मी का आगमन: धार्मिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और धन-संपत्ति का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से पैसों से जुड़ी समस्याओं का निवारण होता है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दिन खीर बनाने और उसे चंद्रमा की शीतल चांदनी में रखने के पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण भी हैं। चंद्रमा की किरणों से खीर अमृतमयी बन जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है। यह खीर स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचाव करने में सहायक होती है।
विषाणु नाश: चांदनी में रखने से खीर के अंदर मौजूद विषाणु समाप्त हो जाते हैं, जिससे खीर पवित्र और शुद्ध हो जाती है। इसे अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से कई रोगों से बचाव होता है।
चन्द्रमा का प्रभाव: चावल, दूध और चीनी का संबंध चंद्र देव से माना जाता है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात जब ये खीर चंद्रमा की किरणों में रखी जाती है, तो यह अमृत के समान लाभकारी हो जाती है।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
माता लक्ष्मी की पूजा: प्रातः काल उठकर स्नान आदि करने के बाद धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करें। उनके समक्ष दीप जलाएं और उन्हें कमल का फूल अर्पित करें।
खीर बनाएं: दिन में अपने हाथों से दूध, चावल और चीनी का प्रयोग करके खीर बनाएं।
चंद्र देव की आराधना: रात के समय चंद्र देव की आराधना करें। उनके समक्ष दीपक जलाकर प्रार्थना करें।
खीर चांदनी में रखें: चांदी या मिट्टी के पात्र में खीर निकालें और उसे खुले आसमान के नीचे, चंद्रमा की शीतल चांदनी में रख दें। कुछ घंटे खुद भी चांदनी में बैठकर ध्यान और ध्यान करें।
अगले दिन खीर का सेवन करें: अगले दिन स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें, और माता लक्ष्मी तथा चंद्र देव की पूजा करने के बाद उस खीर का सेवन करें। इसे परिवार के अन्य सदस्यों को भी प्रसाद के रूप में दें।
शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस दिन की जाने वाली पूजा और खीर का सेवन समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति का प्रतीक है।
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Prachi Jain
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