India News (इंडिया न्यूज),Kya Hota Hai Jal Samadhi: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार को निधन हो गया। आचार्य सत्येंद्र दास को कल दोपहर करीब 12 बजे सरयू नदी में जल समाधि दी जाएगी। संतों की जल समाधि को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर उन्हें जल समाधि क्यों दी जाती है? जबकि सनातन धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान शव को जलाने की परंपरा है। आइए जानते हैं जल समाधि क्या है और संतों के लिए यह क्यों जरूरी है।
भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में साधु-संतों को जल समाधि देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह एक विशेष प्रकार की समाधि है, जिसमें साधु-संतों के पार्थिव शरीर को जल में विसर्जित किया जाता है। इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और व्यावहारिक कारण हैं।
जल समाधि का आध्यात्मिक कारण क्या है
मोक्ष की प्राप्ति
ऐसा माना जाता है कि जल समाधि से आत्मा को शीघ्र मोक्ष की प्राप्ति होती है, क्योंकि जल को पवित्र और शुद्ध करने वाला तत्व माना जाता है। पांच
तत्वों में विलीन होना
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मानव शरीर पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है। जल समाधि में शरीर को जल में डुबोया जाता है, जिससे वह अपने मूल तत्व में वापस आ जाता है।
संतों का तपस्वी जीवन
संतों का शरीर आम लोगों से अलग माना जाता है, क्योंकि वे सांसारिक मोह-माया से दूर रहते हैं। इसलिए उनके शरीर को जल में विसर्जित कर प्राकृतिक रूप से विसर्जित कर दिया जाता है।
संतों के शरीर को पूजा के योग्य माना जाता है
सनातन धर्म में मान्यता है कि संतों का शरीर तप, ध्यान और दैवीय शक्ति से भरा होता है। इसलिए उनके शरीर का दाह संस्कार नहीं किया जाता बल्कि उन्हें जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
विशेष तीर्थ स्थलों पर जल समाधि
धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा, नर्मदा, सरस्वती, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में जल समाधि दी जाती है, ताकि संतों की दिव्य ऊर्जा पूरे ब्रह्मांड में फैल सके।
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दाह संस्कार की जगह जल समाधि क्यों
कई मठों और अखाड़ों में यह परंपरा रही है कि संतों का अंतिम संस्कार अग्नि की जगह जल में किया जाए, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। वहीं, कुछ जगहों पर संतों को भू-समाधि देने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती, इसलिए जल समाधि दी जाती है।
कौन से साधु जल समाधि लेते हैं?
आमतौर पर निर्वाण प्राप्त साधु, नागा साधु, अखाड़ों के प्रमुख साधु या फिर जीवन भर तपस्या में लीन रहने वाले साधुओं को जल समाधि दी जाती है।
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