India News (इंडिया न्यूज), Shri Krishna: भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण, जिन्हें अक्सर प्रेम, करुणा और दिव्य लीलाओं के लिए पूजा जाता है, का नाम स्वयं में गहन अर्थ और महत्त्व रखता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण को ‘कृष्णा’ कहकर पुकारना सही नहीं माना जाता? आइए, इस विषय को विस्तार से समझें।

‘कृष्ण’ नाम का अर्थ

संस्कृत भाषा में ‘कृष्ण’ का अर्थ है श्यामा, अर्थात् वह जिसका रंग काला या नीला हो। यह नाम भगवान की अनूठी दिव्यता और आकर्षक रूप को दर्शाता है। भगवान कृष्ण का वर्ण गहरे नीले रंग का माना जाता है, जो अनंतता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

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‘कृष्णा’ नाम का विशेष संदर्भ

संस्कृत में ‘कृष्णा’ नाम का उल्लेख महाभारत की प्रमुख पात्र द्रौपदी के लिए किया गया है। द्रौपदी को भगवान कृष्ण ने उनकी गहरी मित्रता के प्रतीकस्वरूप ‘कृष्णा’ नाम दिया था। ‘कृष्णा’ शब्द द्रौपदी की साहस, न्यायप्रियता और समर्पण को दर्शाता है। इसलिए, जब हम भगवान कृष्ण को ‘कृष्णा’ कहकर संबोधित करते हैं, तो यह वास्तव में द्रौपदी का नाम होता है।

नाम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व

भगवान कृष्ण और द्रौपदी के संबंध मित्रता और पारस्परिक सम्मान के अद्भुत उदाहरण हैं। भगवान कृष्ण ने हमेशा द्रौपदी की सहायता की, चाहे वह चीरहरण के समय हो या किसी अन्य संकट में। उन्होंने द्रौपदी को ‘कृष्णा’ नाम देकर उनके प्रति अपनी आत्मीयता और आदर को प्रकट किया। अतः भगवान कृष्ण को ‘कृष्ण’ कहकर पुकारना ही उचित है, क्योंकि यह उनके वास्तविक स्वरूप और दिव्यता को दर्शाता है।

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‘राधे कृष्ण’ मंत्र का महत्व

भगवान कृष्ण की आराधना के लिए ‘राधे कृष्ण, राधे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, राधे-राधे’ मंत्र का जप किया जाता है। यह मंत्र भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और भक्ति के दिव्य स्वरूप का प्रतीक है। इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य के जीवन में शांति, प्रेम और समृद्धि का संचार होता है।

भगवान कृष्ण का नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि उनकी दिव्यता और व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है। उन्हें ‘कृष्णा’ कहकर संबोधित करने से हम अनजाने में उनके मित्र द्रौपदी का नाम ले लेते हैं, जो संदर्भ की दृष्टि से उचित नहीं है। इसलिए, भगवान कृष्ण को सदा ‘कृष्ण’ नाम से पुकारें और उनकी भक्ति में लीन रहें।

“राधे कृष्ण, राधे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, राधे-राधे!”

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