इंडिया न्यूज़: (Chaitra Navratri 2023, Day 9 Ram Navami) चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना की जाती है। बता दें कि राम नवमी पर्व के दिन देशभर के मठ एवं मन्दिरों में धार्मिक आयोजन किया जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 30 मार्च 2023, गुरुवार के दिन है। इसके साथ ही इस विशेष दिन पर चार अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें प्रभु की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। तो यहां जानिए राम नवमी का शुभ मुहूर्त, स्वरूप, महत्व, पूजा विधि और मंत्र।
श्री राम नवमी 2023 शुभ मुहूर्त
- चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि प्रारंभ: 29 मार्च को शाम 07 बजकर 37 बजे से
- चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च को रात्रि 10 बजे तक
- राम नवमी 2023 तिथि: 30 मार्च 2023, गुरुवार
शुभ समय
- सर्वार्थ सिद्धि योग: पुरे दिन
- रवि योग: पूरे दिन
- गुरु पुष्य योग: रात्रि 09 बजकर 29 मिनट से 31 मार्च सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक
- अमृत सिद्धि योग: रात्रि 09 बजकर 29 मिनट से 31 मार्च सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक
मां का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री चार भुजा धारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प, तो दूजे में गदा धारण की हैं। वहीं, तीसरे में चक्र, तो चौथे में शंख धारण की हैं। सिंह उनकी सवारी है। मां सिद्धिदात्री समस्त संसार का कल्याण करती हैं। इसके लिए उन्हें जगत जननी भी कहते हैं।
महत्व
वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में मां की महिमा का वर्णन निहित है। मार्कण्डेय पुराण में मां की महिमा का गुणगान विशेषकर है। मार्कण्डेय पुराण में मां को अष्ट सिद्धि भी कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि मां अणिमा, महिमा, प्राकाम्य गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व अष्ट सिद्धि का संपूर्ण स्वरूपा हैं।
पूजा विधि
इस दिन सुबह ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले आदिशक्ति और जगत जननी मां दुर्गा को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई कर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और आमचन कर नवीन वस्त्र धारण करें। इसके तत्पश्चात, मां सिद्धिदात्री की स्तुति निम्न मंत्र से करें
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
अब मां सिद्धिदात्री की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, तिल, जौ, चावल आदि से करें। मां को प्रसाद में हलवा-पूरी भेंट करें। अंत में आरती अर्चना कर जीवन में तरक्की, उन्नति, सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन स्नान ध्यान कर सामान्य दिनों की तरह पूजा करें। इसके पश्चात, ब्राह्मणों को दान देकर व्रत खोलें।