India News (इंडिया न्यूज़) Dharm, Yogini Ekadashi 2023: हिंदु धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। हर महीने में 2 एकादशी और हर साल में 24 एकादशियां होती हैं। मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-आराधना करने से इनकी कृपा साधक पर बनी रहती हैं। इन एकादशियों में भी कुछ एकादशी का विशेष महत्व होता हैं। इनमें से एक योगिनी एकादशी हैं। योगिनी एकादशी का व्रत करने और इस दिन भगवान की पूजा करने के साथ कथा के पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी की कथा
योगिनी एकादशी की कथा के अनुसार सतयुग में अलकापुरी राज्य में राजा कुबेर रहते थे, जो शिव के एक बड़े भक्त थे। वो शिव की पूजा के लिए नियमित रुप से सवेरे हेम नाम के माली से फूल मगाया करते थे। एक दिन हेम माली वासनाओं के चलते अपनी पत्नि के साथ रुक गया और कुबेर राजा को फूल नहीं दे पाया। इससे कुबेर राजा अत्यंत क्रोधित हुए और उन्हें कोढ़ी होने का श्राप दे दिया। हेम माली कोढ़ी बनकर पृथ्वी पर रहने लगा। काफी समय बाद वह ऋषि मार्कण्डेय ने श्राप से निकले का उपाय बताते हुए उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। इस व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ दूर हो गया। इसके बाद वो फिर से अलकापुरी को लौट गया।
कब है योगिनी एकादशी
बता दें हिंदु पांचांग के हिसाब से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 13 जून दिन मंगलवार को सुबह 09:29 बजे से योगिनी एकादशी प्रारंभ होगी। वहीं, 14 जून दिन बुधवार को सुबह 08:48 तक रहेगी। इसके अलावा उदया तिथि की माने तो 14 जून को योगिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। वहीं, अगले दिन यानी कि 15 जून दिन गुरुवार की सुबह एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।
पूजा करने की विधि
बता दें हिंदु पांचांग के हिसाब से योगिनी एकादशी व्रत के लिए 14 जून दिन बुधवार को सुबह जल्दी स्नान करके पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। वहीं इस दिन व्रत के लिए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। पूजा के दौरान शुद्ध घी का दीपक जलाएं, भगवान को फूल माला अर्पित करें और तिलक लगाएं। इस दिन पूजा में तुलसी से युक्त प्रशाद भगवान को अवश्य अर्पित करें। वहीं आप योगिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़न के साथ आरती करें।
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