India News (इंडिया न्यूज),UPSC Teacher Vikas Divyakirti :अगर आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, तो डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का नाम सुना ही होगा। देशभर के लाखों छात्रों के लिए वह सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने पहले ही प्रयास में शानदार रैंक हासिल करने के बावजूद उन्होंने सरकारी नौकरी क्यों छोड़ी? आखिर वह कौन-सा जुनून था, जिसने उन्हें दृष्टि IAS जैसे कोचिंग संस्थान की स्थापना के लिए प्रेरित किया? इस कहानी में हैरान करने वाले कई राज छिपे हैं।
पहली कोशिश में मिली सफलता, फिर क्यों छोड़ी नौकरी?
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने 1996 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 384वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने गृह मंत्रालय में काम भी किया, लेकिन कुछ ही समय में उन्होंने इस नौकरी को छोड़ दिया। सवाल ये उठता है कि सरकारी सेवा में इतनी बड़ी सफलता के बाद भी आखिर उन्होंने यह फैसला क्यों लिया? दरअसल, डॉ. दिव्यकीर्ति का दिल हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में था। उनका सपना था कि वह सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों की मदद करें और इसी जुनून ने उन्हें 1999 में दिल्ली के मुखर्जी नगर में दृष्टि IAS की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया।
टीचिंग का जुनून बना जीवन का मकसद
डॉ. दिव्यकीर्ति की सफलता के पीछे उनकी गहरी शैक्षणिक पृष्ठभूमि रही है। उन्होंने हिंदी में स्नातक की डिग्री के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल और पीएचडी की। उनके पास हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पोस्टग्रेजुएट डिग्री भी है। उनका टीचिंग का जुनून इतना गहरा था कि उन्होंने सरकारी नौकरी को ठुकराकर छात्रों को कोचिंग देने का फैसला किया।
Vikas Divyakriti Wife: पत्नी बनीं ताकत
1998 में विकास दिव्यकीर्ति ने तरुणा वर्मा से शादी की, जो खुद एक पीएचडी होल्डर हैं और दृष्टि IAS की निदेशक भी हैं। तरुणा ने इस संस्थान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी लीडरशिप और मैनेजमेंट स्किल्स ने दृष्टि IAS को देश का सबसे बड़ा कोचिंग संस्थान बना दिया।
Vikas Divyakriti Salary 2025:आज भी छात्रों के रोल मॉडल
आज डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के निजी यूट्यूब चैनल के 2.95 मिलियन सब्सक्राइबर हैं और दृष्टि IAS के 11 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उनके लेक्चर सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं और लाखों छात्र उनकी गाइडेंस को फॉलो करते हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर कोचिंग की दुनिया में कदम रखना उनके लिए एक बड़ा रिस्क था, लेकिन उनका जुनून और समर्पण आज उन्हें देश का सबसे लोकप्रिय टीचर बना चुका है। विकास दिव्यकीर्ति की यह कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि जुनून और समर्पण की मिसाल है।