India News (इंडिया न्यूज), Dilip Kumar Raaj Kumar Cold War: बॉलीवुड के दो दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार और राजकुमार जब भी पर्दे पर साथ नजर आते थे, दर्शकों को यादगार पल मिलते थे। लेकिन असल जिंदगी में दोनों के बीच की कड़वाहट किसी से छिपी नहीं थी। दोनों ने 1991 में रिलीज हुई फिल्म ‘सौदागर’ में साथ काम किया था, लेकिन शूटिंग के दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे सेट का माहौल बदल दिया।
जब राजकुमार ने फेंका गुलाल
फिल्म ‘इमली का बूटा’ के एक गाने की शूटिंग के दौरान होली का एक सीन था जिसमें कलाकारों को एक-दूसरे पर गुलाल लगाना था। दिलीप कुमार ने सेट पर सभी को पहले ही साफ तौर पर बता दिया था कि वह कॉन्टैक्ट लेंस पहने हुए हैं, इसलिए कोई भी उनके चेहरे पर गुलाल न लगाए। राजकुमार को भी इस बारे में जानकारी दी गई। निर्देशक सुभाष घई समेत कई लोग राजकुमार के पास गए और उनसे थोड़ा सा ही गुलाल लगाने को कहा। लेकिन राजकुमार अपनी अनोखी शख्सियत के लिए मशहूर थे।
सेट पर छा गया सन्नाटा
जब कैमरा रोल हुआ और एक्शन के लिए कहा गया तो राजकुमार ने चुटकी भर नहीं बल्कि पूरी मुट्ठी भर गुलाल दिलीप कुमार के चेहरे पर लगा दी। गुलाल सीधा उनकी आंखों में चला गया, जिससे वे दर्द से तड़पने लगे। अचानक सेट पर सन्नाटा छा गया। निर्देशक सुभाष घई ने तुरंत चिल्लाते हुए कहा, ‘लाइट बंद करो!’ जबकि, राजकुमार ने सहजता से कहा, ‘पैक अप करो!’
1959 में भी हुआ झगड़ा
यह पहली बार नहीं था जब दिलीप कुमार और राजकुमार के बीच विवाद हुआ हो। 1959 में आई फिल्म ‘पैगाम’ के सेट पर भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था। एक सीन के दौरान राजकुमार ने दिलीप कुमार को जोरदार थप्पड़ मारा था, जिससे दोनों के बीच दरार आ गई थी। इसके बाद दोनों ने कसम खा ली थी कि वे दोबारा साथ काम नहीं करेंगे।
सौदागर के दौरान सुभाष घई ने संभाली स्थिति
हालांकि, जब दोनों को ‘सौदागर’ में साथ कास्ट किया गया तो उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से साथ काम किया, लेकिन उनके बीच दूरियां बनी रहीं। गुलाल फेंकने की घटना के बाद दोनों के बीच तनाव और भी बढ़ गया, लेकिन किसी तरह सुभाष घई ने स्थिति को संभाला और फिल्म की शूटिंग पूरी हुई।
दोनों अपने अलग अंदाज के लिए थे फेमस
राजकुमार का अलग अंदाज, दिलीप कुमार की शालीनता राजकुमार अपने बेबाक और दबंग अंदाज के लिए मशहूर थे, जबकि दिलीप कुमार अपनी गंभीरता और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। इन दो अलग-अलग शख्सियतों का टकराव बॉलीवुड में कई बार देखने को मिला। ‘सौदागर’ का यह वाकया उनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता का एक और उदाहरण था, जिसे फिल्म इंडस्ट्री आज भी याद करती है।