India News (इंडिया न्यूज), Indian Cinema First Actress: फ़िल्मी दुनिया की एक ऐसी महिला जो आज हर लड़की के लिए एक मिसाल के तौर पर याद की जाती है। लेकिन इनकी ज़िन्दगी कुछ ऐसी है जिसे जान लेने के बाद आप भी रो देंगे, आज हम आपको भारतीय सिनेमा में सिल्वर स्क्रीन पर आने वाली पहली महिला यानी भारतीय सिनेमा की पहली हेरोइन के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, जब वो फिल्मों में आईं तो खूब बवाल हुआ। यहां तक ​​कि समाज ने इस अभिनेत्री का बहिष्कार तक कर दिया। वहीँ आज इस अभिनेत्री की देशभर में चर्चा होती है। आपको बता दें इस अभिनेत्री का नाम दुर्गाबाई कामत था।

  • सहना पड़ा जुल्म
  • दुर्गाबाई ने की मिसाल कायम
  • दादासाहेब का पहला इक्का दुर्गाबाई कामत

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सहना पड़ा जुल्म

दुर्गाबाई कामत के फिल्मों में आने के बाद ही दूसरी अभिनेत्रियों को फिल्मी दुनिया में आने की हिम्मत मिली। इससे पहले एक्टिंग और फिल्मों को ‘तुच्छ’ माना जाता था। या यूँ कहें कि जो भी महिला फिल्मों में काम किया करती थी उसको समाज से बेदखल कर दिया जाता था। समाज में महिलाओं के लिए कोई ‘सम्मानजनक’ काम नहीं था। जो भी महिला या लड़की फिल्मों में काम करती थी, उसे समाज से बाहर कर दिया जाता था। कुछ ऐसा ही दुर्गाबाई कामत के साथ हुआ। इनकी कहानी जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

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दुर्गाबाई ने की मिसाल कायम

आज भले ही महिलाओं के हक और समान अधिकार की बात की जाती है। भले ही उनकी आजादी की बात की जाती है, लेकिन सदियों पहले ऐसा नहीं था। उस समय महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें थीं। तरह तरह के सवाल उठाए जाते थे। न तो उन्हें घर से निकलने की आजादी थी और न ही कोई नौकरी या कारोबार। महिलाओं के लिए सिर्फ चार दीवारें ही उनकी दुनिया थीं। लेकिन दुर्गाबाई कामत ने उन चुनौतियों और तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए घर की चार दीवारों से बाहर निकलकर सिल्वर स्क्रीन पर आने का साहस दिखाया। दुर्गाबाई कामत ने समाज के सारे मिथक और बेड़ियां तोड़ दीं। वहीँ कहा जाता है कि इन सबके पीछे दादा साहब फाल्के का हाथ था। इन्होने ने ही पहली बार दुर्गाबाई को अपनी फिल्मो में काम दिया।

दादासाहेब का पहला इक्का दुर्गाबाई कामत

वहीँ दादा साहब फाल्के इससे बिलकुल भी संतुष्ट नहीं थे। उन्हें फिल्म में महिला के बिना किरदार की वास्तविकता दिखाना मुश्किल लग रहा था। इसलिए उन्होंने तय किया कि वो दूसरी फिल्म में भी महिला को ही हीरोइन बनाएंगे। और यही सबसे बड़ी मुश्किल थी क्योंकि डर के कारण कोई भी महिला घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं थी, फिल्म में काम करना तो दूर की बात थी। लेकिन दादा साहब फाल्के ने हार नहीं मानी। आखिरकार उन्हें दुर्गाबाई कामत मिलीं, जो सिंगल मदर थीं। उनकी एक बेटी कमलाबाई कामत थी।

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