India News (इंडिया न्यूज), Kuldeep Kaur Death Reason: हिंदी सिनेमा की पहली महिला खलनायिका कही जाने वाली अभिनेत्री कुलदीप कौर की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं रही। बेशक वह पर्दे पर खलनायिका बनीं, लेकिन उनकी असल जिंदगी भी रहस्यों से भरी रही। महज 33 साल की उम्र में एक कांटे चुभने की वजह से उनकी मौत हो गई। लेकिन उनके जीवन की कहानी सुनकर आज भी लोग दंग रह जाते हैं।

क्यों कहलाईं बॉलीवुड की बैड गर्ल?

ब्रिटिश इंडिया के अटारी में जन्मीं कुलदीप कौर एक जमींदार जाट परिवार से ताल्लुक रखती थीं। बचपन में ही पिता को खो देने के बाद उनका पालन-पोषण संयुक्त परिवार में हुआ। 14 साल की उम्र में शादी और फिर एक बेटे की मां बनने से उनकी जिंदगी एक तय ढांचे में बंध गई। लेकिन यह ठहराव ज्यादा दिनों तक नहीं रहा, पति का रंगीन मिजाज और क्लब की चकाचौंध भरी जिंदगी ने उन्हें भी अपनी ओर आकर्षित किया। एक दिन ऐसे ही एक क्लब में उनकी मुलाकात उस समय के मशहूर अभिनेता प्राण से हुई। बातचीत जल्द ही इंटिमेसी में बदल गई और शादीशुदा होने के बावजूद दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए।

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बंटवारे की आग में परवान चढ़ा प्यार

भारत-पाकिस्तान बंटवारे की आग ने जहां लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी, वहीं कुलदीप कौर भी इसमें अपनी पुरानी दुनिया छोड़कर प्राण के साथ मुंबई आ गईं। यहीं से उनके अभिनय करियर की शुरुआत हुई। बॉम्बे टॉकीज में उनका स्क्रीन टेस्ट हुआ और उनका कॉन्फिडेंस देख लोग चौंक गए। लेकिन उन्हें नायिका नहीं, खलनायिका का रोल मिला और यहीं से वह हिंदी सिनेमा की पहली महिला खलनायिका बनीं।

चमन से गृहस्थी और फिर बैजू बावरा

उनके करियर की शुरुआत पंजाबी फिल्म ‘चमन’ से हुई जो 1948 में रिलीज हुई थी। उसी साल उन्होंने दो हिंदी फिल्में ‘जिद्दी’ और ‘गृहस्थी’ साइन कीं। खास तौर पर ‘गृहस्थी’ में आधुनिक सोच वाली महिला का उनका किरदार घर-घर में चर्चा का विषय बन गया। इसके बाद उन्होंने ‘बैजू बावरा’, ‘अनारकली’, ‘आधी रात’ जैसी फिल्मों में नकारात्मक किरदारों को जीवंत किया।

पाकिस्तान की जासूस का लगा आरोप

शोहरत के साथ-साथ विवादों ने भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। लाहौर से उनके पारिवारिक संबंध और पाकिस्तान की उनकी यात्राओं ने कुछ लोगों को नाराज कर दिया और उन पर पाकिस्तानी जासूस होने का आरोप लगा। हालांकि यह आरोप कभी साबित नहीं हो सका, लेकिन यह दाग उनकी छवि पर हमेशा के लिए लग गया।

एक कांटा चुभने से हुई मौत

साल 1960, तारीख 3 फरवरी, कुलदीप कौर शिरडी यात्रा पर थीं, तभी बेर के पेड़ से कांटा चुभने से उन्हें मामूली घाव हो गया। शुरुआती लापरवाही के कारण घाव ने संक्रमण का रूप ले लिया और उनकी हालत बिगड़ने लगी। इस जिद्दी संक्रमण ने इलाज मिलने से पहले ही उनकी जान ले ली। कुलदीप कौर सिर्फ़ एक अभिनेत्री नहीं थीं, वे उस दौर की महिला थीं जिन्होंने समाज की बेड़ियाँ तोड़कर अपनी राह चुनी। उनका जीवन जितना उतार-चढ़ाव भरा था, उनके किरदार उतने ही दमदार थे।

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