India News (इंडिया न्यूज), L2 Empuraan Controversy: साउथ सुपरस्टार मोहनलाल और निर्देशक पृथ्वीराज सुकुमारन की फिल्म ‘एम्पुराण’ विवादों में घिरी हुई है। फिल्म में 24 कट और कई बदलाव किए जाने के बावजूद हिंदू विरोधी भावनाएं भड़काने के आरोप खत्म नहीं हो रहे हैं। अब RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने एक नए लेख के जरिए फिल्म निर्माताओं से तीखे सवाल पूछे हैं। फिल्म की मूल कहानी में कुछ बदलाव किए गए हैं, लेकिन आरोप है कि इसमें अभी भी हिंदुओं को खलनायक के तौर पर दिखाने की कोशिश की गई है। लेख में पृथ्वीराज सुकुमारन और पटकथा लेखक मुरली गोपी की मंशा पर सवाल उठाए गए हैं और कहा गया है कि यह फिल्म इस्लामिक आतंकवाद को सही ठहराने और हिंदुओं को दोषी ठहराने की कोशिश कर रही है।
24 कट के बाद भी विवाद बरकरार
फिल्म की कहानी मसूद सईद (पृथ्वीराज) नामक एक किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका परिवार गुजरात दंगों में मारा जाता है और वह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) में शामिल हो जाता है। ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेख में दावा किया गया है कि फिल्म में आतंकवादियों को सहानुभूतिपूर्ण तरीके से दिखाया गया है और एक दृश्य में एक युवक को भारत के खिलाफ हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया जाता है। लेख के अनुसार, “विरोध कभी भी फिल्म से गुजरात दंगों को हटाने के बारे में नहीं था, बल्कि गोधरा ट्रेन की घटना और अन्य विवादास्पद दृश्यों के बारे में था। हालांकि फिल्म में कुछ समयरेखा परिवर्तन किए गए हैं और सेटिंग को 2002 से बदलकर ‘कुछ साल पहले’ कर दिया गया है, लेकिन कहानी की मूल भावना वही है, जो हिंदुओं को नकारात्मक रूप में चित्रित करती है।”
निर्देशक और पटकथा लेखक निशाने पर
लेख में पृथ्वीराज सुकुमारन और मुरली गोपी पर गंभीर आरोप लगाए गए और पूछा गया कि क्या फिल्म की मूल स्क्रिप्ट में पहले से ही ऐसे विवादित तत्व मौजूद थे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया? इसके अलावा सेंसर बोर्ड ने राष्ट्रगान से जुड़े कौन से सीन हटाए? इसके अलावा लेख में इस बात पर भी संदेह जताया गया कि क्या फिल्म के निर्माण में देश-विदेश की कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतों की भूमिका थी? साथ ही यह सवाल भी उठाया गया कि फिल्म के एक निर्माता ने अचानक इस प्रोजेक्ट से अपना हाथ क्यों खींच लिया?
फिल्म निर्माताओं से माफी की मांग
लेख के अंत में केरल के समाज से अपील की गई है कि वे ‘एम्पुरान’ के निर्माताओं के एजेंडे की गहराई से जांच करें। इसमें कहा गया कि फिल्में केवल मनोरंजन का साधन हैं, लेकिन पृथ्वीराज और मुरली गोपी ने कलात्मक स्वतंत्रता की आड़ में सांप्रदायिक विभाजन और राष्ट्र विरोधी विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश की है। इसके साथ ही लेख में यह भी मांग की गई है कि दोनों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि ‘एमपुराण’ 27 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, लेकिन अब तक इसका विवाद खत्म नहीं हो रहा है।