India News (इंडिया न्यूज), Manoj Kumar Pakistan Connection:  बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार का शुक्रवार (4 अप्रैल) को मुंबई के धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। 87 वर्षीय मनोज कुमार लंबे समय से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। भारतीय सिनेमा में ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर मनोज कुमार अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था? यह वही शहर है जहां अमेरिका ने दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारा था। आइए जानते हैं मनोज कुमार की जिंदगी के ये अनसुने पहलू।

पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था जन्म

24 जुलाई 1937 को जन्मे मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। उनका जन्म पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एबटाबाद शहर में हुआ था। मनोज कुमार पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। लेकिन साल 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान उनका परिवार एबटाबाद छोड़कर दिल्ली आ गया। दिल्ली में वे किंग्सवे कैंप (अब गुरु तेग बहादुर नगर) में शरणार्थी के तौर पर रहे। संघर्षों से भरे इस दौर में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। बाद में उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और अपनी शानदार एक्टिंग से लोगों के दिलों में जगह बनाई।

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ओसामा बिन लादेन का आखिरी ठिकाना

एबटाबाद, जहां मनोज कुमार का जन्म हुआ, ब्रिटिश शासन के दौरान एक महत्वपूर्ण सैन्य छावनी हुआ करता था। इस शहर की स्थापना 1853 में मेजर जेम्स एबॉट ने की थी और उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया। यह जगह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर थी, लेकिन 2 मई 2011 को यह शहर पूरी दुनिया की सुर्खियों में तब आया, जब अमेरिकी नेवी सील्स ने यहां अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। ओसामा का ठिकाना पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही था, जिस पर अमेरिकी एजेंसियों की लंबे समय से नजर थी। अमेरिका ने 9/11 हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को खत्म करने के लिए इस मिशन को अंजाम दिया था।

विभाजन के दर्द से फिल्मों तक का सफर

मनोज कुमार के परिवार ने देश के बंटवारे की त्रासदी को करीब से महसूस किया था। शायद यही वजह थी कि उनकी फिल्मों में देशभक्ति और सामाजिक मुद्दे झलकते थे। उन्होंने ‘उपकार, पूर्व और पश्चिम, क्रांति और शोर जैसी फिल्मों में देशभक्ति को केंद्र में रखा। आज जब मनोज कुमार हमारे बीच नहीं हैं, तो उनकी यादें और उनकी देशभक्ति से भरी फिल्में हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। उनका जीवन दर्शाता है कि संघर्षों के बावजूद भी सपने पूरे किये जा सकते हैं।

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