Nargis Dutt Mother: संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी ने तवायफों के जीवन को सुर्खियों में ला दिया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर नरगिस दत्त की मां जद्दनबाई के अतीत को लेकर कई दावे किए गए थे। कहा जाता है कि जद्दनबाई एक मशहूर तवायफ थीं और उन्होंने अपनी बेटी नरगिस को फिल्मों में इसलिए लाया था ताकि वह आर्थिक तंगी से बाहर निकल सके। आइए जानते हैं इस कहानी के पीछे की पूरी सच्चाई।
कौन थीं जद्दनबाई?
जद्दनबाई का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। कहा जाता है कि जब उनकी शादी के बाद बारात लौट रही थी तो डाकुओं ने हमला कर दिया। इस हमले में उनका सारा दहेज लूट लिया गया और उनके पति की हत्या कर दी गई। पति की मौत के बाद उनके ससुराल वालों ने उन्हें बदकिस्मत मानकर प्रताड़ित किया, जिससे उनका जीना मुश्किल हो गया।
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जब जद्दनबाई को वेश्यालय में धकेला गया
इसके बाद एक दिन जब वह नदी किनारे कपड़े धोते हुए लोकगीत गा रही थी, तो जात्रा मंडली की एक महिला ने उसकी दर्दनाक कहानी सुनी। वो उसे अपने साथ कोलकाता ले आई, जहां उसे एक वेश्यालय के हवाले कर दिया गया। उन दिनों वेश्यालय दो हिस्सों में बंटे हुए थे, एक में सिर्फ ठुमरी और नृत्य होता था, जबकि दूसरे में वेश्यावृत्ति भी होती थी। जद्दनबाई की खूबसूरत आवाज और गायन की वजह से उन्हें ठुमरी गाने का मौका मिला और धीरे-धीरे वह मशहूर हो गईं।
क्या वाकई मोहन बाबू के साथ उनकी प्रेम कहानी थी?
जद्दनबाई की जिंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब पंजाब के एक अमीर घराने का बेटा मोहन बाबू मेडिकल की पढ़ाई करने लंदन जा रहा था। फ्लाइट में देरी की वजह से वह कुछ दिन कोलकाता में रुका और इस दौरान वह जद्दनबाई के वेश्यालय पहुंच गया। उसकी गायकी और खूबसूरती से प्रभावित होकर मोहन बाबू ने उससे शादी करने की जिद की।
मोहन बाबू को प्यार करने की मिली ऐसी सजा
इस शादी की वजह से मोहन बाबू को उसके परिवार ने अपनी सारी संपत्ति से बेदखल कर दिया, लेकिन वह जद्दनबाई के साथ ही रहा। इस रिश्ते ने नरगिस को जन्म दिया। जद्दनबाई ने गायन के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया और फिल्मों में भी हाथ आजमाया। हालांकि, जब उन्हें फिल्मों में आर्थिक नुकसान हुआ, तो उन्होंने अपनी बेटी नरगिस को फिल्म इंडस्ट्री में उतारा।
फिल्मों से राजनीति तक
नरगिस न केवल हिंदी सिनेमा की एक बेहतरीन अभिनेत्री बनीं, बल्कि उन्होंने सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि वो एक कांग्रेस अधिवेशन में स्वयंसेवक के तौर पर शामिल हुई थीं, जहां भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें सफेद साड़ी पहनने की सलाह दी थी। इसके बाद नरगिस ने जीवन भर सफेद साड़ी को ही अपनी पहचान बना ली।
सच और अफवाह के बीच की रेखा
ऐतिहासिक संदर्भों और साक्ष्यों के अभाव में यह दावा विवादास्पद बना हुआ है कि नरगिस की मां जद्दनबाई एक वेश्या थीं। जद्दनबाई एक मशहूर ठुमरी गायिका थीं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी पहचान बनाई। हालांकि, यह भी सच है कि उन्होंने मुश्किल हालातों में संघर्ष किया और अपनी बेटी को एक सफल अभिनेत्री बनाया। सवाल यह उठता है कि क्या उन्हें वेश्या कहना सही होगा या फिर वह महज एक प्रतिभाशाली गायिका थीं जो उस समय के समाज के रवैये का शिकार हो गईं?