India News (इंडिया न्यूज), Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद देश में हाहाकार मचा है। इस कायराना हरकत में आंतकवादियों ने 26 निहत्थे लोगों को जान ले ली। घटन के बाद से ही देशभर में रोष है। रविवार के दिन मुंबई में सड़कों पर मातम दिखाई दे रहा था। दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों की नीच हरकत के खिलाफ एक्टर मकरंद देशपांडे ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया। इस यात्रा को एक्टर ने श्रद्धांजलि यात्रा बताया। इस यात्रा में न सिर्फ हिंदू बल्कि अनेक धर्मों के लोग ने हिस्सा लिया। शोक जताने की वजह से लोगों ने सफेद कपड़े पहने कर यात्रा की। मकरंद देशपांडे और उनके साथ पहुंचे लोगों ने पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। वहां के सभी लोगों ने ‘एकजुट होकर हाथ से हाथ मिलाएंगे’ और ‘एक देश एक धड़कन’ जैसे संदेशों वाले पोस्टर और बैनर अपने हाथों में थामे हुए थे। इन सभी लोगों ने आतंकियों को एकता और दृढ़ संकल्प का कड़ा संदेश दिया।
कश्मीर पर्यटन कम होने से अतुल कुलकर्णी परेशान
इस घटना के बारे में मकरंद देशपांडे ने कहा, “मैं इस घटना की निंदा करता हूं और सभी पीड़ितों को श्रद्धांजलि देता हूं। उन्हें उनके धर्म और नाम के कारण मारा गया, जो बहुत गलत है, हमें भारत सरकार के किसी भी फैसले का समर्थन करना चाहिए।” इस बीच, बॉलीवुड ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है। अभिनेता अतुल कुलकर्णी ने रविवार को नरसंहार के बाद कश्मीर का दौरा किया। उन्होंने देश भर के लोगों से इस क्षेत्र के साथ खड़े होने का आग्रह किया। उन्होंने नागरिकों को कश्मीर आने के लिए प्रोत्साहित किया। एएनआई से बात करते हुए अतुल कुलकर्णी ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत पर्यटकों की बुकिंग रद्द होने की खबर ने उन्हें तोड़ दिया है। इसलिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कश्मीर जाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मुंबई से प्रतिक्रिया देने के बजाय, वह घाटी में अपनी उपस्थिति से एक मजबूत संदेश देना चाहते थे।
अतुल कुलकर्णी पहलगाम पहुंचे
एक्टर अतुल कुलकर्णी ने बोला, “22 तारीख को जो कुछ भी हुआ, वह बहुत दिल दुखाने वाली घटना थी, ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए था। घटना से पूरा देश गहरे सदमे में है। जब मैंने इस बारे में पढ़ा, तो मैं सोच रहा था कि हर बार जब ऐसा कुछ होता है, तो हम क्या करते हैं? 2 .हम सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, दोस्तों से बात करते हैं, कुछ लिखते हैं, लेकिन फिर मैंने सोचा, मैं वास्तव में क्या कर सकता हूं?फिर मुझे याद आया कि यहां की 90% बुकिंग रद्द हो गई हैं। तो मैंने सोचा – वे क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं? वे मूल रूप से कह रहे हैं, ‘कश्मीर मत आओ।’ और हमें जो जवाब देना चाहिए, वह है, ‘हम आएंगे। कश्मीर हमारा है।’ लेकिन मैं मुंबई में बैठकर वह संदेश नहीं दे सकता था। यह महत्वपूर्ण था कि मैं खुद यहां आऊं।”