India News (इंडिया न्यूज), Phule Controversy: प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर ‘फुले’ 11 अप्रैल को रिलीज होनी थी, लेकिन विवादों के चलते इस फिल्म की रिलीज डेट टालनी पड़ी। इस फिल्म का निर्देशन दिग्गज अभिनेता-निर्देशक अनंत महादेवन ने किया है। फिल्म के विरोध को देखते हुए सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने फिल्म को दोबारा देखा और कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें कोई कट नहीं लगाया गया है। एक इंटरव्यू में अनंत ने ‘फुले’ पर विवाद को अनावश्यक बताया और कहा कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि CBFC के कारण फिल्म की रिलीज टाली नहीं गई है। बता दें, ब्राह्मण समुदाय ‘फुले’ में उनकी नकारात्मक छवि दिखाए जाने पर आपत्ति जता रहा है।

फिल्म में नहीं किया गया कोई कट- अनंत महादेवन

सीबीएफसी के संशोधनों के बारे में बात करते हुए अनंत महादेवन ने पीटीआई से कहा, “उन्होंने कुछ संशोधन सुझाए, जिन्हें मैं कट नहीं कहूंगा। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई कट नहीं किया गया है। हमने ऐसा किया। उन्हें लगा कि फिल्म युवाओं और सभी को देखनी चाहिए और यह बहुत शिक्षाप्रद है। मुझे नहीं पता कि यह सारा विवाद और बहस क्यों हो रही है, मुझे लगता है कि यह थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर और अनावश्यक है।” विवाद पर अनंत महादेवन ने कहा, “ब्राह्मण दो मिनट के ट्रेलर से प्रभावित हो गए।” उन्होंने दोहराया कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। उन्होंने खुलासा किया कि फिल्म के निर्माताओं और इससे जुड़े अन्य लोगों से सलाह लेने के बाद फिल्म की रिलीज को टाल दिया गया है ताकि विवाद को सुलझाया जा सके।

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अनंत महादेवन ने की ब्राह्मणों से खास अपील

अनंत महादेवन ने कहा, “उन्होंने (ब्राह्मणों ने) सोशल मीडिया पर अपने विचार रखे और फिर अन्य लोगों ने भी कहा, ‘ब्राह्मण विरोध क्यों कर रहे हैं?’ दो समूहों के बीच विरोध शुरू हुआ, हम उन्हें शांत करना चाहते थे, और उन्हें बताना चाहते थे कि, ‘फिल्म में वह नहीं है जो आप लोग सोच रहे हैं।’ हम दर्शकों को खोना नहीं चाहते थे… मैं चाहता हूं कि वे एक साथ आएं और शांति से फिल्म देखें। इसलिए, निर्माताओं और वितरकों ने मिलकर सोचा, ‘चलो इसे दो और हफ्तों के लिए स्थगित कर देते हैं और सभी विवादों को सुलझा लेते हैं, मीडिया से बात करते हैं और इसे उनके पास ले जाते हैं’।”

ज्योतिराव फुले पर आधारित है फिल्म

‘फुले’ समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित एक बायोपिक है। इस जोड़े ने 19वीं सदी में जाति और लैंगिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज और परशुराम आर्थिक विकास महामंडल जैसे कई संगठनों ने फिल्म पर आपत्ति जताई है। हालांकि सेंसर बोर्ड ने किसी भी कट का आदेश नहीं दिया, लेकिन उन्होंने कई संशोधनों का सुझाव दिया। बोर्ड ने जाति व्यवस्था और ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘मनु व्यवस्था’ जैसे शब्दों पर चर्चा करने वाले वॉयस-ओवर को हटाने का सुझाव दिया।

दो हफ्ते आगे बढ़ी रिलीज डेट

‘झाड़ू लेकर चलने वाले आदमी’ के दृश्य को ‘लड़कों द्वारा सावित्री बाई पर गोबर के गोले फेंकने’ वाले दृश्य से बदलने के लिए कहा गया है। उन्होंने संवाद ‘जहां शूद्रों को झाड़ू बांधकर चलना चाहिए’ को ‘क्या हमें ऐसे ही चलना चाहिए… सभी से दूरी बनाए रखना चाहिए’ और ‘3000 साल पुरानी… गुलामी’ को ‘कई साल पुरानी’ में बदलने/संशोधित करने के लिए भी कहा है। ‘फुले’ पहले 11 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी। चल रहे विवाद के कारण फिल्म को दो हफ्ते के लिए टाल दिया गया है। हालांकि, निर्माताओं ने अभी तक अंतिम रिलीज की तारीख की घोषणा नहीं की है। दो महीने के भीतर यह दूसरी फिल्म है जो विवादों का सामना कर रही है।

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