India News (इंडिया न्यूज), PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने आपातकाल से लेकर मशहूर अभिनेता देव आनंद पर लगाए गए प्रतिबंध तक का जिक्र किया है। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के तुरंत बाद संविधान निर्माताओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। संविधान में संशोधन किया गया। अखबारों पर प्रतिबंध लगाए गए और यहां तक कि अभिव्यक्ति की आजादी को भी कुचला गया। पीएम ने कहा कि जब देव आनंद ने आपातकाल का समर्थन करने से इनकार कर दिया तो उनकी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
PM मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा, “जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे, तब मुंबई में मजदूरों की हड़ताल थी। इसमें मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता गाई थी। नेहरू जी ने मशहूर कवि को सिर्फ कविता सुनाने पर जेल में डाल दिया था। मशहूर अभिनेता बलराज साहनी ने एक विरोध रैली में हिस्सा लिया था, इसलिए उन्हें जेल में डाल दिया गया था। लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने ऑल इंडिया रेडियो पर वीर सावरकर पर एक कविता पेश करने की योजना बनाई, जिसके लिए उन्हें ऑल इंडिया रेडियो से हमेशा के लिए निकाल दिया गया।”
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देव आनंद जी की सभी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया- PM मोदी
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि ”आपातकाल के दौरान प्रसिद्ध फिल्म कलाकार देव आनंद जी से आपातकाल का समर्थन करने का अनुरोध किया गया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इसलिए देव आनंद जी की सभी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। संविधान की बात करने वाले इन लोगों ने संविधान को सालों तक अपनी जेब में रखा। उन्होंने कभी इसका सम्मान नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि जब किशोर कुमार ने कांग्रेस के लिए गाने से इनकार कर दिया, तो उनके सभी गानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मैं आपातकाल के उन दिनों को नहीं भूल सकता।” अब हम आपको देवानंद और किशोर कुमार के बारे मेंवो किस्सा बताने जा रहे हैं जिसका जिक्र PM मोदी ने अपनी स्पीच में किया है।
आपातकाल में बॉलीवुड पर लगा था सेंसरशिप का शिकंजा
1975 का दौर भारतीय लोकतंत्र के सबसे कठिन समय में से एक था। देश में आपातकाल लागू था, और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों का प्रचार-प्रसार करने के लिए सरकार ने बीस-सूत्रीय कार्यक्रम तैयार किया। इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल को दी गई। फिल्मों की ताकत को पहचानते हुए, उन्होंने मशहूर गायक किशोर कुमार से प्रचार गीत गवाने का प्रयास किया, लेकिन किशोर ने सरकार के आगे झुकने से इनकार कर दिया।
किशोर कुमार के गानों पर लगा प्रतिबंध
सरकारी अधिकारियों ने जब किशोर कुमार से संपर्क किया और उनसे बीस-सूत्रीय कार्यक्रम के प्रचार के लिए गाने को कहा, तो उन्होंने न केवल मना कर दिया, बल्कि अफसरों को फटकार लगाते हुए भगा दिया। यह सरकार को बर्दाश्त नहीं हुआ और तुरंत प्रभाव से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके सभी गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इतना ही नहीं, उनके रिकॉर्ड्स की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई। सरकार को उम्मीद थी कि इस सख्त कार्रवाई से फिल्म इंडस्ट्री में डर का माहौल बनेगा और अन्य कलाकार विरोध करने से बचेंगे। हालांकि, कुछ लोग डर गए, लेकिन किशोर कुमार ने झुकने से साफ इनकार कर दिया।
देव आनंद ने बनाया था राजनीतिक दल
आपातकाल के दौरान केवल किशोर कुमार ही नहीं, बल्कि कई अन्य कलाकारों ने भी सरकार की नीतियों का विरोध किया। मशहूर अभिनेता देव आनंद ने खुलकर आपातकाल का विरोध किया और इसे लोकतंत्र के खिलाफ तानाशाही करार दिया। मुंबई के जुहू बीच पर एक सार्वजनिक सभा में उन्होंने इंदिरा गांधी और संजय गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें ‘तानाशाह’ कहा। देव आनंद ने सिर्फ बयानबाजी तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि सरकार के खिलाफ मुकाबला करने के लिए ‘नेशनल पार्टी’ नामक एक राजनीतिक दल भी बना लिया। हालांकि, उनकी इस राजनीतिक पहल को ज्यादा समर्थन नहीं मिला, लेकिन उनके विरोध की आवाज ने कई कलाकारों को प्रेरित किया।
देव आनंद की फिल्मों पर भी लगा प्रतिबंध
देव आनंद के कड़े रुख से नाराज सरकार ने उनकी फिल्मों के दूरदर्शन पर प्रसारण पर रोक लगा दी। इस फैसले का बॉलीवुड के कुछ सितारों ने समर्थन किया तो कुछ ने विरोध। मशहूर अभिनेत्री नरगिस दत्त ने देव आनंद के कदमों को ‘हठधर्मिता’ बताया और कहा कि वह जरूरत से ज्यादा विरोध कर रहे हैं। बावजूद इसके, देव आनंद अपनी बात पर अडिग रहे और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठाते रहे।
फिल्म इंडस्ट्री पर आपातकाल की मार
आपातकाल के दौरान कई कलाकारों को सरकार के दबाव का सामना करना पड़ा। जहां कुछ ने चुप्पी साध ली, वहीं किशोर कुमार और देव आनंद जैसे कलाकारों ने खुलकर विरोध किया। किशोर कुमार पर बैन लगाना यह दर्शाता है कि सरकार कलाकारों से अपनी मर्जी के मुताबिक प्रचार करवाना चाहती थी, लेकिन हर कोई इसके लिए तैयार नहीं था। इस दौर ने यह भी दिखाया कि कला और कलाकारों को दबाने की कितनी कोशिश की गई, लेकिन कुछ लोगों ने साहस के साथ अपने विचारों को अभिव्यक्त किया और सत्ता के सामने झुकने से इंकार कर दिया।