India News (इंडिया न्यूज) Randeep hooda on nehru gandhi: फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा का कहना है कि देश को आजादी महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू या अहिंसा की वजह से नहीं मिली। रणदीप ने फिल्म जाट के प्रमोशन को लेकर एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने फिल्म ‘वीर सावरकर’ और विनायक दामोदर दास सावरकर के बारे में खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंसा के बिना देश को आजादी नहीं मिल सकती थी।

एक पॉडकास्ट में रणदीप हुड्डा ने कहा कि उन्होंने सावरकर पर बनी फिल्म गुस्से में की थी। उन्होंने कहा, “मैंने सावरकर गुस्से में की थी, इंडस्ट्री के प्रति नहीं। जब मुझे बतौर एक्टर कास्ट किया गया तो मैंने कहा कि मैं तो पक्का जाट हूं, ये फिल्म कैसे करूंगा, मेरा चेहरा मेल नहीं खाता। अगर आप इतना बड़ा रियल लाइफ किरदार निभा रहे हैं, जो लोगों के दिमाग में है, जिसकी इतनी सारी तस्वीरें मौजूद हैं। मैं बिल्कुल भी वैसा नहीं दिखता।”

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सावरकर के बारे में पढ़ा तो …

रणदीप ने कहा, “फिर मैंने ऐसे ही उनके बारे में पढ़ना शुरू कर दिया। जब मैंने पढ़ना शुरू किया तो विक्रम संपत की किताब आई। मैंने उसे पढ़ा। फिर मुझे लगा कि मैं उनके बारे में जो कुछ भी जानता हूं, जो भी जानकारी पब्लिक डोमेन में है, वो सब मुझे पता ही नहीं था। जब मैंने और पढ़ना शुरू किया तो मैंने भारतीय इतिहास पढ़ा। मैंने सामान्य इतिहास की किताबें पढ़ीं जो एक मानसिकता वाले लोगों द्वारा लिखी गई थीं। उसमें सशस्त्र क्रांति एक पैराग्राफ में खत्म हो जाती है। तो क्या हम इतने कमजोर (बदला हुआ शब्द) थे कि हमने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार नहीं उठाए। सब कुछ अहिंसा से हासिल हुआ।”

अभिनेता ने कहा कि 1946 से लेकर 1950-52 तक अंग्रेजों ने तकरीबन 50-60 देशों को आजादी प्रदान की। रणदीप ने कहा कि वहां अहिंसा नहीं थी। इसके बाद उन्होंने और पढ़ना शुरू किया। आगे हुड्डा ने दावा किया कि हमें इतिहास सिर्फ एक पहलू से दिखाया गया है और बाकी का कोई उल्लेख नहीं है।

“हमें गांधी-नेहरू की वजह से आज़ादी नहीं मिली”

जब इंटरव्यू के दौरान रणदीप से पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि हमें जो आज़ादी मिली है वो महात्मा गांधी, पंडित नेहरू या अहिंसा की वजह से नहीं मिली? रणदीप ने जवाब दिया, “हमें नहीं मिली। अहिंसा क्या होती है… किसी से चॉकलेट मांग लो, तुम आज़ादी की बात कर रहे हो। अहिंसा से क्या कुछ हासिल हो सकता है। आज़ादी में गांधी जी का योगदान सबसे बड़ा भाई है, लेकिन ये सिर्फ़ उनकी वजह से नहीं मिला। गांधी जी की छवि ऐसी थी कि वो खुद को एक आम आदमी के तौर पर ढालते थे और देश उनसे जुड़ता था। वो पूरे देश को, आम लोगों को इसमें शामिल करते थे। यही उनका सबसे बड़ा योगदान था।”

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