India News (इंडिया न्यूज), Ranveer Allahbadia Controversy: यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने रियलिटी शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ पर एक अश्लील मजाक को लेकर अपने खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद लोग उन्हें जमकर ट्रोल कर रहे हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने मामले की तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि मामले को प्रक्रिया के अनुसार लिया जाएगा।

इलहाबादिया केस को लेकर क्या बोला SC?

आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि, मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है? सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर के वकील अभिनव चंद्रचूड़ से कहा कि वह मौखिक रूप से जल्द सुनवाई की मांग पर विचार नहीं करेगा। जस्टिस संजीव खन्ना ने इलाहाबादिया के वकील से कहा कि पहले रजिस्ट्री से संपर्क करें। रणवीर इलाहाबादिया ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है। इलाहाबादिया के वकील डॉ. अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि रणवीर के खिलाफ कई राज्यों में कई एफआईआर दर्ज हैं। उन्हें आज गुवाहाटी पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया है। इसलिए कोर्ट उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर की जांच और सुनवाई एक ही जगह करने का आदेश दे ताकि उन्हें अलग-अलग राज्यों में चक्कर न लगाना पड़े। लेकिन कोर्ट से ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया है, जिसका मतलब है कि, अब रणवीर को FIR वाले अलग-अलग राज्यों में जाकर ये केस लड़ना पड़ेगा।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र और असम समेत कई राज्यों में रणवीर इलाहाबादिया पर सामाजिक मर्यादा तोड़ने, सार्वजनिक रूप से अश्लील हरकतें करने और अभद्र भाषा का प्रयोग करने के आरोप में केस दर्ज हैं।

मुंबई -असम पुलिस ने दर्ज की थी FIR

असम पुलिस ने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के एक एपिसोड में कथित तौर पर “अश्लीलता को बढ़ावा देने और यौन रूप से स्पष्ट और अश्लील बातों में शामिल होने” के लिए एफआईआर में रणवीर इलाहाबादिया और चार अन्य प्रभावशाली लोगों का नाम दर्ज किया।

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मामला 10 फरवरी को गुवाहाटी क्राइम ब्रांच में दर्ज

एफआईआर के बाद, असम पुलिस मामले में शामिल लोगों से पूछताछ करने के लिए मुंबई पहुंची थी। यह मामला 10 फरवरी को गुवाहाटी क्राइम ब्रांच में दर्ज किया गया था। यह मामला गुवाहाटी निवासी आलोक बोरुआ द्वारा आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह, अपूर्व मखीजा, रणवीर इलहाबादिया और समय रैना सहित कई यूट्यूबर्स और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत पर दर्ज किया गया था। इस शिकायत के आधार पर, गुवाहाटी क्राइम ब्रांच ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023, आईटी अधिनियम, 2000, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 और महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।

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