India News (इंडिया न्यूज), Shiny Doshi Relationship With Father: टेलीविजन इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस शाइनी दोशी ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में अपनी जिंदगी के सबसे दर्दनाक और कड़वे अनुभवों का खुलासा किया है। उनकी खिलखिलाती मुस्कान और दमदार एक्टिंग के पीछे छुपे उस दुःख को शायद वो कभी खुलकर बयां ही नहीं कर पाईं, उनकी निजी ज़िन्दगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। शाइनी ने बताया कि उनका बचपन परेशानियों से भरा था और उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए अपनी मां और भाई से संघर्ष करना पड़ता था।

परिवार के लोगों ने कहा ‘वेश्या’

शाइनी दोशी ने इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता ने न सिर्फ उनकी मां को छोड़ दिया बल्कि उन्हें और उनके भाई को अपनाने से भी इनकार कर दिया। पिता की रूढ़िवादी सोच के कारण शाइनी को अपने एक्टिंग करियर के लिए ताने और अपमान सहना पड़ा। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मॉडलिंग और विज्ञापन शूट करना शुरू किया तो उनके परिवार के लोग उन्हें ‘वेश्या’ कहने लगे। अपमान इतना गहरा था कि उनके अपने पिता ने भी उनके काम की निंदा की और उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए। अभिनेत्री ने बताया कि जब वह देर रात काम से लौटती थीं तो उनके पिता उनकी मां से झगड़ते और कहते थे, “तुम इसे किस काम से ले जा रही हो?” जब शाइनी महज 16 साल की थीं, तब उनके माता-पिता अलग हो गए और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि राशन वाले ने तीन महीने की बकाया राशि के कारण राशन देने से इनकार कर दिया।

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कॉलेज से निकाला गया

संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ। फीस न भर पाने के कारण कॉलेज के प्रिंसिपल ने शाइनी को सबके सामने शर्मिंदा कर दिया। उन्होंने बीच क्लास में ही कह दिया कि जब तक फीस नहीं भर देते, कॉलेज मत आना। यह सुनकर शाइनी का दिल टूट गया और वह घर जाकर मां से लिपटकर खूब रोईं। आखिरकार उनकी मां ने अपने गहने बेचकर उनकी फीस भरी ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।

पिता करते थे घरेलू हिंसा

इंटरव्यू में शाइनी ने घरेलू हिंसा की घटनाओं को भी याद किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार अपनी मां को अपने पिता के हाथों पिटते हुए देखा है। पिता की हिंसा के डर से वह अक्सर खुद को कमरे में बंद कर लेती थी। वह डर और असुरक्षा के माहौल में बड़ी हुई। मुंबई आने के बाद भी उसके पिता ने कभी उससे नहीं पूछा कि वह ठीक है या नहीं, कहां रह रही है या उसके पास खाने के लिए कुछ है या नहीं। दो साल तक उसका अपने पिता से कोई संपर्क नहीं था। लेकिन फिर एक दिन उसे फोन आया कि अमरनाथ यात्रा के दौरान उसके पिता की मौत हो गई है। पहले तो उसे लगा कि यह मजाक है, लेकिन जब दूसरी तरफ से व्यक्ति ने गंभीरता से बात की तो उसे यकीन हो गया।

पिता की अर्थी को दिया कंधा

शाइनी ने बताया कि पहलगाम की यात्रा के दौरान उसके पिता की मौत हो गई, वे गिर गए और सिर में गंभीर चोट लगने के कारण ब्रेन हेमरेज से उनकी मौत हो गई। शाइनी ही वह व्यक्ति थी जो पहलगाम से अपने पिता का शव लाईं और उनका अंतिम संस्कार किया। उन्होंने ही अर्थी को कंधा दिया और चिता को अग्नि दी। शाइनी कहती हैं, “पिता हमेशा कहते थे कि तुम मेरी बेटी नहीं, बल्कि बेटा हो… और मैंने वह जिम्मेदारी निभाई।” शाइनी दोशी ने साबित कर दिया है कि सफलता के पीछे अक्सर अनगिनत आंसुओं, त्याग और संघर्ष की एक लंबी कहानी होती है। आज जिस मुकाम पर वो खड़ी हैं, वहां तक ​​पहुंचने के लिए उन्होंने जो कीमत चुकाई है, वो बहुत भारी है।

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