India News (इंडिया न्यूज), Sikandar Movie Review: बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सिकंदर’ 30 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। ए.आर. मुरुगदॉस के निर्देशन में बनी इस एक्शन-ड्रामा फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीदें थीं। आइए, जानते हैं पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर ‘सिकंदर’ का प्रदर्शन और दर्शकों की प्रतिक्रिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘सिकंदर’ ने रिलीज के पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 40 से 45 करोड़ रुपये की कमाई की है। यह आंकड़ा सलमान खान की पिछली फिल्म्स के हिसाब से कम है, लेकिन फिल्म की एडवांस बुकिंग प्रभावशाली रही थी, जिसमें ओपनिंग डे के लिए 3 लाख से अधिक टिकटें बिकीं।
कैसी है सिकंदर?
फिल्म के टीज़र ने यूट्यूब पर रिलीज़ के 24 घंटे के भीतर 48 मिलियन व्यूज़ हासिल किए, जो दर्शकों के बीच फिल्म के प्रति उत्सुकता को दर्शाता है। हालांकि दर्शकों को फिल्म में उतनी खास नहीं लगी है। करीब 200 करोड़ रुपये के बजट में बनी ‘सिकंदर’ में सलमान खान के साथ रश्मिका मंदाना, काजल अग्रवाल, शरमन जोशी, सुनील शेट्टी, सत्यराज, अंजिनी धवन और प्रतीक बब्बर जैसे कलाकार नजर आ रहे हैं। फिल्म को साजिद नाडियाडवाला ने प्रोड्यूस किया है।
क्या वीकेंड पर जलवा दिखा पायेगी फिल्म?
फिल्म की असली परीक्षा वीकेंड पर होगी। यदि ‘सिकंदर’ शनिवार और रविवार को मजबूत पकड़ बनाती है, तो यह साल 2025 की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में शामिल हो सकती है। दर्शकों की प्रतिक्रिया और वर्ड ऑफ माउथ इस फिल्म की सफलता में अहम भूमिका निभाएंगे। अब देखना होगा कि यह फिल्म आने वाले दिनों में कैसा प्रदर्शन करती है और क्या यह सलमान खान की पिछली ब्लॉकबस्टर फिल्मों की तरह नया रिकॉर्ड स्थापित कर पाएगी।
‘सिकंदर’ का क्या है रिव्यू
सलमान खान की मौजूदगी में हीरो का ओवर द टॉप होना स्वाभाविक है, लेकिन दिक्कत तब होती है जब निर्देशक एआर मुरुगादॉस की कहानी में नयापन नहीं दिखता। मुरुगादॉस अपनी फिल्म के किरदारों को गढ़ने में अक्षम साबित होते हैं। कहानी में कई किरदार ऐसे हैं, जिनका ठीक से विकास नहीं हो पाया है। कमजोर कहानी और ढीली पटकथा के कारण फिल्म प्रभाव छोड़ने में विफल रहती है। इस बार भाई के संवाद सलमान की फिल्मों की तरह नहीं हैं, जो वन-लाइनर्स के लिए मशहूर हैं। हां, एक्शन फिल्मों के लिए मशहूर एआर मुरुगादॉस का एक्शन धमाकेदार है। एक्शन दृश्यों को बेहद कमाल के तरीके से कोरियोग्राफ किया गया है। टिरु की सिनेमेटोग्राफी दमदार है। टॉप एंगल से लिए गए भीड़ वाले दृश्य ग्रंजर जोड़ते हैं। निर्देशक ने एक्शन के साथ इमोशन जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन दर्शकों को वह भी टुकड़ों में मिलता है। फिल्म के कई दृश्य अतार्किक लगते हैं। कहानी में तारतम्यता का अभाव है। फिल्म की अवधि 2 घंटे 35 मिनट है, जो काफी लंबी लगती है। संतोष नारायण का बीजीएम विषय के अनुरूप है। संगीत की बात करें तो प्रीतम के दो गाने ‘जोहरा जबीं’ और ‘बम बम बोले’ ठीक-ठाक हैं।