India News (इंडिया न्यूज), Vimi Painful Life: बॉलीवुड की चमक-धमक जितनी आकर्षक दिखती है, इसके पीछे छिपे दर्दनाक किस्से उतने ही भयावह होते हैं। ऐसे ही एक दर्दनाक सफर की गवाह थीं 70 के दशक की मशहूर अदाकारा विमी। उन्होंने रातों-रात स्टारडम हासिल किया, मगर फिर उनकी ज़िंदगी अंधेरे में डूबती चली गई। कामयाबी, शोहरत, प्यार, धोखा, घरेलू हिंसा, शराब की लत और अंततः दर्दनाक मौत—यह उनकी ज़िंदगी की त्रासदी भरी कहानी है।

बचपन से स्टार बनने तक का सफर

विमी का असली नाम विमलेश वाधवा था और उनका जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत किसी फिल्मी परिवार से नहीं, बल्कि एक आम परिवार से की थी। शादी के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और उनकी किस्मत रातों-रात बदल गई।

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रातों-रात स्टार बन गई एक्ट्रेस

कहा जाता है कि एक पार्टी के दौरान प्रसिद्ध संगीतकार रवि की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने विमी को फिल्मों में काम करने का मौका दिया। रवि ने उनकी मुलाकात बी.आर. चोपड़ा से करवाई और 1967 में विमी ने सुपरहिट फिल्म ‘हमराज’ से बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री की। यह फिल्म जबरदस्त हिट हुई और विमी रातों-रात स्टार बन गईं। इसके बाद उन्होंने ‘लव इन टोक्यो’, ‘रातों की धुंध’, ‘गुमराह’, ‘दिल की राहें’ जैसी फिल्मों में काम किया। यहां तक कि उन्हें पृथ्वीराज कपूर के साथ नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म ‘नानक नाम जहाज है’ में भी काम करने का मौका मिला। लेकिन यह सफलता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकी।

पति बना बर्बादी की वजह

जब विमी ने बॉलीवुड में कदम रखा, तब वह पहले से ही शादीशुदा थीं। उन्होंने कोलकाता के बड़े बिजनेसमैन शिवराज अग्रवाल से शादी की थी और उनके दो बच्चे भी थे। शुरुआत में उनके पति ने उनका साथ दिया, मगर जैसे-जैसे उनकी प्रसिद्धि बढ़ी, उनके पति का रवैया बदलने लगा।

इंडस्ट्री में कैसे बिगड़ी छवि?

शिवराज खुद को विमी का मेंटॉर और मैनेजर समझने लगे और उनके फिल्मी करियर में दखल देने लगे। वह यह तय करने लगे कि विमी कौन सी फिल्म करें और कौन सी नहीं। इस कारण उनके पास से अच्छे प्रोजेक्ट्स निकलने लगे। उनके करियर को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब बी.आर. चोपड़ा ने उनके साथ तीन फिल्में साइन कीं, लेकिन एक दिन किसी आउटडोर शूटिंग के दौरान उनके पति ने जाने से मना कर दिया। बी.आर. चोपड़ा जब उन्हें समझाने उनके घर पहुंचे, तो दोनों के बीच झगड़ा हो गया और चोपड़ा ने विमी के साथ सभी कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए।
इसके बाद इंडस्ट्री में उनकी छवि बिगड़ गई और उन्हें काम मिलना बंद हो गया। धीरे-धीरे उनकी बचत खत्म होने लगी और वह कर्जे में डूबने लगीं।

घरेलू हिंसा और गरीबी से टूटी एक्ट्रेस

करियर पर जब बुरा वक्त आया, तो उनका निजी जीवन भी बदतर होता चला गया। उनका पति अक्सर शराब पीकर उनके साथ मारपीट करता और जबरन उनसे पैसे मांगता। परेशान होकर विमी ने फिल्मी दुनिया छोड़ कोलकाता में एक टेक्सटाइल कंपनी खोली, लेकिन वह भी ज्यादा दिन नहीं चली। आर्थिक तंगी के बीच उनकी शादीशुदा जिंदगी भी बर्बाद हो गई। इसी दौरान उनकी मुलाकात प्रोड्यूसर जॉली से हुई, जो उनका अच्छा दोस्त बन गया। दोनों साथ रहने लगे और विमी ने अपने पति से तलाक ले लिया। लेकिन जॉली के साथ रहते हुए वह शराब की लत में पड़ गईं। धीरे-धीरे जॉली भी उनसे बेरुखी बरतने लगा।

देह व्यापार में धकेली गईं

जब पैसों की तंगी बढ़ी, तो जॉली ने विमी को जबरदस्ती देह व्यापार में धकेलने की कोशिश की। यह खुलासा उनकी करीबी दोस्त कृष्णा ने एक इंटरव्यू में किया था। आखिरकार, विमी ने जॉली को छोड़ दिया और अकेले रहने लगीं। लेकिन शराब की लत और अकेलेपन ने उनकी हालत बिगाड़ दी। कुछ समय बाद, ज्यादा शराब पीने के कारण उनका लिवर खराब हो गया और वह गंभीर रूप से बीमार हो गईं। जब हालत ज्यादा बिगड़ी, तो उन्होंने जॉली से मदद मांगी, जिसने उन्हें मुंबई के नानावटी अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन वहां भी उन्हें जनरल वॉर्ड में रखा गया क्योंकि इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

ठेले पर हुई अंतिम यात्रा

22 अगस्त 1977 को विमी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। उनकी मौत के बाद जब अस्पताल ने जॉली से डेड बॉडी ले जाने को कहा, तो उसके पास एंबुलेंस के भी पैसे नहीं थे। आखिरकार, उसने एक चायवाले से ठेला मांगकर विमी के शव को श्मशान घाट तक पहुंचाया। जब मीडिया को इस घटना की भनक लगी, तो उन्होंने खबर फैला दी, लेकिन इसके बावजूद विमी के अंतिम संस्कार में सिर्फ 9 लोग ही पहुंचे। इनमें प्रोड्यूसर तेजनाथ जार और एस.डी. नारंग के भाई शामिल थे।

मौत बनी दर्द से राहत

उनकी करीबी दोस्त कृष्णा ने एक इंटरव्यू में कहा था, विमी की मौत उनके लिए किसी ब्लेसिंग से कम नहीं थी। जिस दर्द और जिल्लत में वह जी रही थीं, उससे कहीं ज्यादा आसान उनके लिए मौत थी। आज भी विमी की कहानी बॉलीवुड की सबसे दुखद कहानियों में से एक मानी जाती है। चकाचौंध की इस दुनिया में जो चेहरे स्क्रीन पर मुस्कुराते नजर आते हैं, उनके पीछे न जाने कितने दर्द छिपे होते हैं।

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