गोलीकांड में बाल-बाल बचे सुखबीर सिंह बादल को क्यों हुई धार्मिक सज़ा? जानें क्या थी वजह
Attack on Sukhbir Badal
India News (इंडिया न्यूज़),Attack on Sukhbir Badal: पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर मंगलवार को गोली चलाने की घटना सामने आई है। यह घटना उस समय हुई जब सुखबीर बादल अकाल तख्त द्वारा दी गई सजा के बाद गोल्डन टेम्पल (स्वर्ण मंदिर) आए थे। घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें हमलावर को देखा जा सकता है जो अचानक गोली चलाता है। वीडियो में यह भी दिखता है कि वहां मौजूद अन्य लोग हमलावर को पकड़ लेते हैं और उसकी पिस्तौल को छीनकर उसे पुलिस के हवाले कर देते हैं।
हमले की जांच जारी
इस हमले की तफ्तीश जारी है, और पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। घटना के पीछे का कारण और हमलावर की पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन यह घटना स्वर्ण मंदिर के आसपास की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर रही है।
सुखबीर सिंह बादल और अकाली नेताओं को क्यों हुई धार्मिक सज़ा?
सुखबीर सिंह बादल, पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता, को सोमवार को अकाल तख़्त की ओर से धार्मिक सजा (तन्खाह) सुनाई गई थी। अकाल तख़्त सिख धर्म से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक संस्था है और इसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी सिख को तलब कर उसे धार्मिक सजा दे, अगर वह सिख धर्म के सिद्धांतों या सिख समुदाय की भावनाओं के खिलाफ काम करता है। सिख परंपराओं के अनुसार, जब कोई सिख धर्म के मूल सिद्धांतों के खिलाफ कार्य करता है या समुदाय की भावनाओं को आहत करता है, तो अकाल तख़्त उसे तन्खाह (धार्मिक सजा) देने का अधिकार रखता है। यह सजा सिख धर्म के अनुशासन को बनाए रखने के लिए दी जाती है।
2 दिसम्बर को अकाल तख़्त में सिख प्रतिनिधियों और सिखों के पांच प्रमुख धर्म स्थलों के मुखिया की बैठक हुई थी, जिसमें सुखबीर सिंह बादल समेत 2007 से 2017 के बीच उनके कैबिनेट में मंत्री रहे अधिकांश लोगों को धार्मिक सजा (तन्खाह) दी गई। यह बैठक सिख धर्म के सिद्धांतों और परंपराओं के अनुरूप सिख नेताओं के आचरण पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। अकाल तख़्त ने उन नेताओं को तन्खाह (धार्मिक सजा) दी, जिन्होंने सिख समुदाय की भावनाओं के खिलाफ या धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ कोई कदम उठाया था।