India News(इंडिया न्यूज), Chipko Movement In Haryana: साल 1973 में हुआ चिपको आंदोलन एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है। हरियाणा में भी लोगों ने इस आंदोलन का सहारा लेकर पेड़ों को कटाई से बचाया। दरअसल चिपको आंदोलन वो आंदोलन है जिसके कारण पेड़ों को नया जीवन मिला। आज से कई साल पहले भी पेड़ों को काटा जाता था और अब भी इस चीज को अपनाया जा रहा है। जिसके चलते हरियाणा और चंडीगढ़ में लोगों ने इस आंदोलन का सहारा लेकर पेड़ों को काटने से बचाया।
- हाईकोर्ट के आदेशों पर हुआ ये काम
- क्या है चिपको आंदोलन?
हाईकोर्ट के आदेशों पर हुआ ये काम
दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पेड़ों की कटाई को लेकर जनता ने अच्छा खासा रोष जताया। इस दौरान चंडीगढ़ में लोगपेड़ों से चिपक कर खड़े हो गए और आंदोलन किया। दरअसल, हाईकोर्ट की सड़क चौड़ी करने और पार्किंग स्थल के निर्माण के लिए हाल ही मे कई पेड़ों की कटाई की गई।जिससे लोगों में काफ़ी रोष देखने को मिल रहा है। जिसके चलते आक्रोशित होते हुए सेविंग चंडीगढ़ के बैनर तले कई लोग पहुँचे और उन्होंने कई पेड़ों पर लाल धागा बाँध कर फिर उन्हें गले लगाकर खड़े हो गए और सरकार से पेड़ों को न काटने की गुहार लगाने लगे।
क्या है चिपको आंदोलन?
सन 1973 में उत्तराखंड में लोगों ने पेड़ों की सुरक्षा के लिए कई बड़े कदम उठाय। वहीँ इसी बीच एक आंदोलन भी हुआ जिसको नाम दिया गया था चिपको आंदोलन। इस आंदोलन की शुरुआत चंडीप्रसाद भट्ट और गौरा देवी की तरफ से की गई थी और भारत के प्रसिद्ध सुंदरलाल बहुगुणा ने आगे इसका नेतृत्व किया। इस आंदोलन में पेड़ों को काटने से बचने के लिए गांव के लोग पेड़ से चिपक जाते थे, इसी वजह से इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन पड़ गया था। वहीँ आज हरियाणा और चंडीगढ़ में इस आंदोलन को अपनाया गया।
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