- निकाय चुनाव में भाजपा-जजपा फ्रंट फुट पर वहीं कांग्रेस अंदरुनी कलह के चलते समर्पण की मुद्रा में
- राज्यसभा चुनाव को लेकर निकाय चुनाव से कांग्रेस का ध्यान पूरी तरह से हटा
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : Rajya Sabha Elections राज्यसभा की सीट बचाने के चक्कर में हरियाणा कांग्रेस निकाय चुनाव को भूल बैठी है। निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के चक्रव्यूह में कांग्रेस ऐसी फंसी कि उसका सारा ध्यान निकाय चुनाव से हटकर राज्यसभा सीट बचाने में लग गया। 19 जून को निकाय चुनाव होने हैं। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी हैं। फिलहाल प्रदेश में अगर कोई पार्टी बैकफुट पर है तो वो है कांग्रेस।
Rajya Sabha Elections
कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में अपने ही विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग के भय के चलते उन्हें रायपुर ले गई और वो कई दिन से वहीं कमरों में कैद हैं। हालात ये हैं कि कांग्रेस पूरी तरह से समर्पण की मुद्रा में है। लेकिन इसी बीच यहां ये बताना बेहद अहम है कि कांग्रेस ने खुद अपने ही हाथों निकाय चुनाव में एक तरह से हार कबूल कर ली है।
भाजपा व जजपा निरंतर निकाय चुनाव में ताल ठोक रहे हैं तो कांग्रेस एक तरह से मुंह छुपाकर बैठी है। ये बात किसी से छुपी नहीं है कि निकाय चुनाव किसी भी पार्टी की प्रदेश में सही स्थिति, कमजोरी व ताकत का संकेत देते हैं। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने पहले ही हार मान ली, उससे साफ हो गया कि पार्टी निरंतर जनाधार खो रही है और कहीं न कहीं पार्टी को पहले ही डर है कि वो निकाय चुनाव हारेगी।
कांग्रेस ने निकाय चुनाव में किया समर्पण
कांग्रेस ने प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया था कि वो निकाय चुनाव सिंबल पर नहीं लड़े जाएंगे। इसके पीछे सभी सीनियर नेताओं और विधायकों की अलग-अलग राय थी। पार्टी के निकाय पर चुनाव नहीं लड़ने के फैसले ने हर किसी को हैरत में डाल दिया है। एक तरह से यहीं से सबको संकेत मिल गया था कि कांग्रेस को निकाय चुनाव में अपनी स्थिति पहले ही पता थी। पार्टी ने जिस तरह से निकाय चुनाव से खुद को एक तरह से दूर कर लिया है वो पार्टी के लिए आने वाले खराब समय का संकेत है।
निकाय चुनाव को लेकर भी पार्टी दिग्गजों में घमासान
निकाय चुनाव को लेकर पार्टी के कई दिग्गजों में ही मतभेद थे जो बैठक में ही सामने आ गए थे। नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के सीनियर लीडर भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके खेमे ने बैठक में फैसला लिया कि निकाय चुनाव सिंबल पर नहीं लड़े जाएंगे तो कई विधायक इस पर अंदरूनी तौर पर आपत्ति भी जताई। पार्टी की बेहद सीनियर नेता किरण चौधरी ने कहा कि निकाय चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर होने हैं तो ऐसे में जरूरी है कि पार्टी सिंबल पर ही लड़ना चाहिए। ऐसे में अगर पार्टी चाहती है कि सिंबल पर निकाय चुनाव नहीं लड़ेंगे तो सबके बीच गलत संदेश जाएगा।
हुड्डा को आपसी कलह के चलते हार का डर सता रहा
राजनीतिक जानकारों की मानें तो सामने आया कि कांग्रेस के निकाय चुनाव में खुलकर ताल नहीं ठोंकने के पीछे पार्टी के दिग्गजों की कलह मुख्य कारण रही है। हुड्डा को इस बात का इल्म था कि अगर चुनाव सिंबल पर लड़े तो उनके विरोधी खेमे के नेता पार्टी कैंडिडेट्स के खिलाफ वोटिंग करवा सकते हैं और हार का ठीकरा अकेले उनके सर फोड़ा जाएगा। एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि कहीं न कहीं हुड्डा का डर जायज भी था क्योंकि अगर ऐसा होता तो पार्टी हाईकमान के साथ-साथ प्रदेश की राजनीति में भी उनके कमजोर होने का संदेश जाता और इसकी भरपाई होनी मुश्किल थी।
कुछ दिन पहले ही राजनीति में कदम रखने वाले कार्तिकेय शर्मा के चलते कांग्रेस घुटनों पर
Kartikeya Sharma
राजनीति में कुछ दिन पहले ही कदम रखने वाले और निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने कांग्रेस की हालत पतली कर दी है। उनके चलते पार्टी न केवल राज्यसभा चुनाव को लेकर अपने विधायक को लेकर भागती फिर रही है बल्कि निकाय चुनाव से भी पूरी तरह से ध्यान हटा चुकी है। कार्तिकेय के नामांकन ने पार्टी दिग्गजों को हाशिए पर ला पटका। जिस तरह से कार्तिकेय को निरंतर भाजपा व जजपा के अलावा निर्दलीय विधायकों का साथ मिल रहा है, उससे भी कांग्रेस की चिंताएं बढ़ गई है।
नई नवेली आप बन रही कांग्रेस का विकल्प
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के मुकाबले प्रदेश की राजनीति में नई नवेली आम आदमी पार्टी खुलकर आ गई है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार आम आदमी पार्टी खुद को कांग्रेस के विकल्प के रूप में मजबूती से सबके सामने पेश कर रही है। निकाय चुनाव में आप ने फैसला किया कि वो सिंबल पर चुनाव लड़ेगी और पार्टी ने ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी निरंतर जनसभाएं कर रही हैं और आने वाले समय में कांग्रेस को रिप्लेस करने की हर संभव कोशिश कर रही है।
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