India News (इंडिया न्यूज), Maa Bhimeshwari Devi Temple : झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर्व आज से शुरू हो गया है। इस अवसर पर महाभारत कालीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में मेले का भी आयोजन किया जा रहा है। देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचने लगे हैं। नवरात्रि के पहले दिन यहां माता भीमेश्वरी देवी के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
- देश का इकलौता ऐसा उदाहरण जहां माता की प्रतिमा एक और मंदिर दो
- मंदिर में भीड़ कंट्रोल करने के लिए करीब 150 से ज्यादा पुलिस कर्मचारियों की लगाई गई ड्यूटी
Maa Bhimeshwari Devi Temple : पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना की
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना भी यहां की गयी। रविवार का दिन होने के कारण माता भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को खास तरह के लालिमा युक्त रंग की रत्न जड़ित पोशाक और स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया। 9 दिन चलने वाले इस आयोजन को सफल बनाने के लिए यहां सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। Maa Bhimeshwari Devi Temple
Maa Bhimeshwari Devi Temple : इस मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन
झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित इस मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन है। माता भीमेश्वरी देवी पांडवों की कुलदेवी माता हिंगलाज भवानी का ही स्वरूप हैं। कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने पाण्डु पुत्र भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था। मां भीम के साथ चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं होगा।
यहाँ के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था
लेकिन जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्हें लघुशंका जाने के लिए कुलदेवी की प्रतिमा को नीचे रख दिया। तभी से माँ भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं। मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है। यहाँ के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था। पांडवों की कुलदेवी होने से साथ-साथ माता भीमेश्वरी देवी बाबा श्याम की भी कुलदेवी हैं। इसलिए माता का आशीर्वाद लेने वाले भगतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। Maa Bhimeshwari Devi Temple
माँ की प्रतिमा तो एक है लेकिन मंदिर दो
हम आपको बता दें कि बेरी में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर की एक ओर बात भी इसे अन्य मंदिरों से खास बनाती है। यहाँ माँ की प्रतिमा तो एक है लेकिन मंदिर दो। जी हां, मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को रोजाना सुबह 5 बजे बेरी कस्बे से बाहर स्थित मंदिर में लाया जाता है। जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं। Maa Bhimeshwari Devi Temple
वहीं दोपहर 12 बजे प्रतिमा को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं, जिसके बाद अंदर वाले मंदिर में मां आराम करती हैं। हर बार माता भीमेश्वरी देवी की पोशाक कोलकाता से बनकर आती है। चांदी के सिंहासन पर विराजमान मां के भव्य रूप का दर्शन करने के लिए देशभर से श्रद्धालुओं बेरी पहुंचने लगे हैं। यहाँ नवरात्र के दौरान ही प्रदेश का सबसे बड़ा घोड़ों और खच्चरों का पशु मेला भी लगता है। जो घोड़ों के व्यापार करने और पशु प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रहता है।
Maa Bhimeshwari Devi Temple : नवजात शिशुओं के सिर का मुंडन करा कर बाल माता पर चढ़ाते
चैत्र नवरात्र में माँ की पूजा अर्चना से विशेष फल मिलता है। एक तरफ जहां नवविवाहित जोड़े माता के दर्शन कर बेहतर भविष्य की कामना करते हैं। तो वही दूसरी तरफ श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं के सिर का मुंडन करा कर बाल माता पर चढ़ाते हैं। ताकि उनके बच्चों के सिर पर माँ की कृपा बनी रहे। जिस तरह माता भीमेश्वरी देवी अपने भगतों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं उसी तरह से हमारे दर्शकों की भी मनोकामना पूरी करे। बेरी SDM रेणुका नांदल ने माता भीमेश्वरी देवी मंदिर पहुंच कर सभी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। Maa Bhimeshwari Devi Temple
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