India News(इंडिया न्यूज़), Haryana Human Rights Commission : हरियाणा मानवाधिकार आयोग (HHRC) ने समाचार पत्र में 26 फरवरी 2025 को प्रकाशित समाचार “बदहाल पार्कों को 13 साल से सावन का इंतज़ार” पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें अंबाला सिटी के शिवालिक कॉलोनी स्थित सार्वजनिक पार्कों की बेहद खराब स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।
- हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने अंबाला में पार्कों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया
Haryana Human Rights Commission : रखरखाव के लिए बार-बार आश्वासन दिए गए
इस समाचार में बताया गया कि अंबाला के कई सार्वजनिक पार्क पिछले 13 वर्षों से उपेक्षा का शिकार हैं, जबकि उनके रखरखाव के लिए बार-बार आश्वासन दिए गए और बजट भी आवंटित किया गया। इस स्वतः संज्ञान मामले में पूर्ण आयोग (अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्य कुलदीप जैन एवं दीप भाटिया) ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सार्वजनिक पार्क न केवल हरित क्षेत्रों के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य, पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक समरसता के लिए भी आवश्यक हैं।
Haryana Human Rights Commission : नागरिकों के स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार का उल्लंघन
अपने आदेश में आयोग ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक पार्कों का रखरखाव न कर पाना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही, यह अनुच्छेद 48A और अनुच्छेद 51A(g) का भी उल्लंघन है, जो राज्य और नागरिकों दोनों पर पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी डालते हैं। आयोग ने एम.सी. मेहता बनाम कमलनाथ मामले और पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन का हवाला देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना राज्य की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है।
आयोग ने पार्कों की बहाली हेतु निम्नलिखित बिंदुओं को अनिवार्य बताया: Haryana Human Rights Commission
1. हरे-भरे पौधों और जैव विविधता का नियमित रखरखाव
2. ओपन जिम और फिटनेस उपकरण की स्थापना
3. सुरक्षित व समतल वॉकिंग/जॉगिंग ट्रैक
4. एलईडी लाइट्स व सुरक्षा उपाय
5. स्वच्छ पेयजल, शौचालय और कचरा निपटान सुविधाएं
6. बच्चों के लिए झूले, स्लाइड आदि के साथ खेल क्षेत्र
उपेक्षित पार्क न केवल बेकार होते हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते
आयोग ने यह भी कहा कि उपेक्षित पार्क न केवल बेकार होते हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के Court on Its Own Motion बनाम भारत संघ (2015) के फैसले का हवाला देते हुए आयोग ने दोहराया कि शहरी विकास और सार्वजनिक सुविधाओं का रखरखाव स्थानीय निकायों की संवैधानिक जिम्मेदारी है। Haryana Human Rights Commission
इस अधिकार की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना और जनसंपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने जानकारी दी कि इस मामले में नगर निगम अंबाला के आयुक्त को निर्देशित किया गया है कि वे 30 अप्रैल 2025 तक पार्कों की स्थिति, रखरखाव और भविष्य की योजनाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करें।
यदि इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो संबंधित अधिकारियों पर जांच और प्रशासनिक कार्यवाही की जा सकती है। हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने दोहराया कि नागरिकों को स्वच्छ, हरित और सुरक्षित वातावरण का अधिकार है और इस अधिकार की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। Haryana Human Rights Commission