प्रवीण वालिया-करनाल, India News (इंडिया न्यूज), Deed Writer Dinesh Bansal : करनाल में पिछले 43 सालों से नवीस का काम कर रहे करनाल के सबसे अधिक अनुभवी डीड राइटर दिनेश बंसल ने पिछले पांच दशक में हुए बदलाव को देखा है। पहले पेड़ के नीचे काम शुरू किया था। आज वह एसी कक्ष में बैठते हैं। जहां उनके सहयोगी कंप्यूटर टेबलेट के साथ लेपटाप पर काम करते हैं।
पहले वह हाथ से डीड लिखते थे। वह अब तक लगभग 45 हजार से अधिक रजिस्ट्रियां लिख चुके हैं। वह अब तक बीस डीडी राइटर तैयार कर चुके हैं। दिनेश बंसल का इस क्षेत्र में आना किसी आकस्मिक घटना से कम नहीं था। दिनेश बंसल ने उस दौर को देखा है जब डीड राइटर हाथ से वयनामा और रहनामा तथा डीड लिखते थे। Deed Writer Dinesh Bansal
- कारोबार में भारी घाटे ने बना दिया सीबीआई अफसर के बेटे को डीड राइटर
Deed Writer Dinesh Bansal : उनके पिता जय भगवान बंसल सीबीआई में डीएसपी
दिनेश बंसल का बचपन राजसी तौर पर बीता। उनके पिता जय भगवान बंसल सीबीआई में डीएसपी थे। उनका परिवार उस समय दिल्ली में रहता था। उनके पिता देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सुरक्षा अधिकारी थे। वह देश के महत्वपूर्ण सुरक्षा के साथ खुफिया अधिकारी थे। उन्होंने 1968 में सीबीआई से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली।
उसके बाद करनाल में आकर मंडी में आढ़ती की दुकान की। उसके बाद उन्होंने राइस मिल भी लगाई। लेकिन हर व्यापार में घाटा हुआ। उसके बाद परिवार के पास रोजी का संकट खड़ा हो गया। दिनेश बंसल ने ग्रेजुएशन करने के बाद तहसील में स्टाम्प वेंडर के रूप में काम शुरू किया। उसके बाद उन्होंने डीड राइटर की परीक्षा पास कर डीड राइटर का काम शुरू किया। Deed Writer Dinesh Bansal
करनाल के विस्तार को उन्होंने नजदीकी से देखा था
दिनेश बंसल ने बताया कि उन्होंने करनाल के बदलाव को देखा है। करनाल के विस्तार को उन्होंने नजदीकी से देखा था। जिस समय उन्होंने काम शुरू किया उस समय डीड राइटर को बीस रुपए मिलते थे। आज डीड राइटर को ढाई सौ रुपए मिलते हैं। करनाल का भी विस्तार हुआ है। करनाल एक तहसील थी।
अब नीलोखेड़ी घरौंडा असंध, इंद्री, निगदू, तरावड़ी के साथ सब तहसीलें बनी। उन्होंने बताया कि पहले पुराने जीटी रोड पर तहसील हुआ करती थी। उस समय वह पेड़ के नीचे बैठते थे। उनके पास टाइप राइटर हुआ करते थे। उन्होंने बताया कि उस समय पटवारी का बोलबाला हुआ करता था। पहले वह डीड लिख कर संबंधित व्यक्ति को दे दिया करते थे। Deed Writer Dinesh Bansal
Deed Writer Dinesh Bansal : पहले जहां पेड़ के नीचे बैठते थे
पहले समय में पटवारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार सहयोग नहीं करते थे। जैसी रजिस्ट्रियां लिखी जाती थीं। उन्ही पर वह साइन कर दिया करते थे। लेकिन आज पटवारी और तजहसीलदार सहयोगी रुख अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि पहले जहां पेड़ के नीचे बैठते थे। उस समय कडक़ड़ाती सर्दी गर्म हवा के थपेडों के साथ बारिश का सामना करते थे। उसके बाद शेड मिले। उसमें भी मौसम की प्रतिकूलता का सामना करते थे। उस समय पानी टपकता था। लेकिन सरकार ने उन्हें चैंबर दे दिए। आज वह ऐसी कक्ष में बैठ कर अपना काम करते हैं। आज कंप्यूटर पर काम करते हैं। सारा सिस्टम हाई टैक हो चुका है। Deed Writer Dinesh Bansal
उस समय उनके परिवार के सामने रोजी का संकट था, आज उनके पास सब कुछ है
उन्होंने बताया कि अब एक क्लिक में सारा सिस्टम सामने आ जाता है। सब कुछ आनलाइन हैं। बंसल ने बताया कि पहले मैनुअल सिस्टम से काम होता था। अब आनलाइन काम होता है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा वकील है। वह भी उनके काम को आगे बढाएगा। उन्होंने बताया कि इस काम ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। उन्होंने जिस समय इस काम को शुरू किया उस समय उनके परिवार के सामने रोजी का संकट था। आज उनके पास सब कुछ है। वह इस काम को सेवा के रूप में लिया है। वह इस काम के माध्यम से कई परिवारों को रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि करनाल के भूगोल को वह बेहतर ढंग से जानते हैं। Deed Writer Dinesh Bansal