इशिका ठाकुर, India News(इंडिया न्यूज़), International Women’s Day : महिलाएं महिलाओं के लिए सफलता और सशक्त बनने के द्वार खोल रही हैैं। करनाल में महिलाओं द्वारा संचालित संस्था ने 4000 महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया है। बीते 32 वर्षों से ग्रामीण परिवेश और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

International Women’s Day : महिला दिवस की सार्थकता को पूूरा करता तपन पुनर्वास केंद्र

आपको बता दें कि महिला दिवस की सार्थकता को करनाल की नीलोखेड़ी विधानसभा में स्थित तपन पुनर्वास केंद्र ने साबित किया है। इस केंद्र की शुरुआत वर्ष 1992 में हुई थी और बीते 32 वर्षों में इस संस्थान ने हजारों महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सदृढ़ करने का काम किया है। संस्थान की प्रबंधक डॉक्टर सुजाता ने बताया कि कई तरह के कारणों से महिलाएं पिछड़ जाती हैं।

ग्रामीण परिवेश का महिला वर्ग भी बढ़ रहा आगे

ग्रामीण परिवेश की महिलाओं और लड़कियों को आगे बढ़ने के अधिक अवसर नहीं मिलते इन दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए इस केंद्र की शुरुआत की गई। डॉक्टर सुजाता ने बताया कि जो महिला अपने लिए स्वरोजगार के अवसर तलाश रही हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिलता, उन्हें केंद्र से जोड़ा जाता है।

केंद्र पर कई तरह के कोर्स चलाए जाते हैं, जिनमें सेनेटरी पैड बनाने, वेस्ट मैटीरियल से पेपर बनाना, फाइल कवर बनाने, सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटीशियन सहित कई प्रशिक्षण दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र में ट्रेनिंग देने के लिए महिला ट्रेनर काम करती है और उनसे ट्रेनिंग हासिल करके अब तक चार हजार से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं।

केंद्र की महिला ट्रेनर मानवी का कहना

तपन पुनर्वास केंद्र की महिला ट्रेनर मानवी ने बताया कि ग्रामीण परिवेश की महिलाओं में बहुत क्षमता होती है लेकिन उन्हें उचित मार्गदर्शन और ट्रेनिंग नहीं मिलती। यहां केंद्र पर चलाए जा रहे खास ट्रेनिंग कार्यक्रमों से हर वर्ष महिलाएं जुड़ती हैं और अपनी रुचि अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षण लेकर अपने लिए स्वरोजगार के अवसर खोलती है।

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डॉ. सुजाता ने कहा कि शुरुआती समय में उन्होंने असहाय बच्चों और महिलाओं के लिए इस संस्था को शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे दूसरी महिलाएं भी उनके साथ जुड़ती गई और उन्होंने भी यहां से ट्रेनिंग लेकर अपने आप को समृद्ध बनाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक 4000 के करीब बच्चों और महिलाओं को ट्रेनिंग दी है जिसके चलते वह अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं।

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डॉ. सुजाता ने कहा कि जब वह मेट्रो हॉस्पिटल में जॉब कर रही थी तब उन्होंने कई प्रकार के ऐसा हाई लोगों को देखा और तभी से उन्होंने सोचा कि क्यों ना इन लोगों के लिए काम किया जाए और उन्होंने नौकरी छोड़कर इस काम को चुना। इसके चलते अब वह है हजारों परिवारों की कमाई का जरिया बनी हुई है और इस से फ्री में ट्रेनिंग लेकर अपने परिवार का गुजर बसर कर रही है।

डॉ. सुजाता ने एक बताया कि वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से भी जुड़ी हुई है और उन्होंने इस पर काम किया है जिसके चलते उनको के सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि और लोगों को भी आगे आना चाहिए जो समाज में सामाजिक काम करके समाज सुधार का काम कर सकते हैं।

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