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करनाल में किसान मेले में उमड़ी भीड़, मशरूम की जलेबी बनी आकर्षण का केंद्र
इशिका ठाकुर, India News (इंडिया न्यूज), Mushroom Jalebi : करनाल राष्ट्रीय डेयरी एवं अनुसंधान संस्थान के द्वारा तीन दिन का किसान मेला आयोजित किया गया जो 27 फरवरी से शुरू होकर 1 मार्च तक चलेगा। यहां पर पूरे भारत से सैकड़ों किसान आए हुए हैं जो अपने द्वारा तैयार किए गए खेती से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाकर यहां लाए हैं।
ऐसे ही एक दंपति किसान सुनीता और अशोक जींद से करनाल किसान मेले में पहुंचे हैं जिन्होंने यहां पर मशरूम से बनी हुई जलेबी की स्टाल लगाई हुई है। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों ने मैदे से बनी हुई जलेबी तो खूब खाई होगी, लेकिन क्या आपने सोचा है कि मशरूम से भी जलेबी तैयार की जा सकती है। ऐसा हो रहा है और यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है।
पिछले कई सालों से मशरूम की जलेबी बना रहे अशोक और उनकी पत्नी सुनीता
मेले में आए हुए प्रगतिशील किसान अशोक और उनकी पत्नी सुनीता पिछले कई सालों से मशरूम की जलेबी बना रही है और जिसको लोग काफी पसंद कर रहे हैं । इसका स्वाद काफी अच्छा होता है जो 600 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है। मशरूम के साथ-साथ वह इसमें मिलेट्स भी मिलते हैं जो स्वास्थ्य की काफी लाभदायक होते हैं । मशरूम की जलेबी खाने से शरीर को कोई भी नुकसान नहीं होता बल्कि काफी अच्छा स्वास्थ्य के लिए यह माना जाता है। मेले में आए हुए लोग इसको खूब पसंद कर रहे हैं और खा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मिलेट्स भारत सरकार भी काफी जोर दे रही है और हम अपनी जलेबी में मिलेट्स और आठ प्रकार की मशरूम मिलकर उसको तैयार कर रहे हैं वह भारत के सबसे पहले ऐसे किसान है जो इस प्रकार की जलेबी तैयार कर रहे हैं।
भारत के सबसे पुराने मशरूम उत्पादक में से एक है दंपति, आठ प्रकार की मशरूम करते हैं तैयार
किसान अशोक ने बताया कि वह भारत के सबसे पुराने मशरूम उत्पादकों में से एक है। वह करीब आठ प्रकार की मशरूम तैयार करते हैं। वह एक किसान भी हैं और उसके साथ-साथ उन्होंने अपना अब स्टार्टअप भी शुरू किया है। उनकी मशरूम की काफी डिमांड रहती है, जिसके चलते वह भारत ही नहीं, विदेशों में भी पहचान बना चुके हैं।
उन्होंने कहा कि जब शुरुआती समय में उन्होंने मशरूम का काम शुरू किया था तब बचने में थोड़ी समस्या आती थी, जिसके चलते उन्होंने सोचा कि क्यों न मशरूम पर नया काम शुरू किया जाए और फिर उन्होंने मशरूम से खाने के व्यंजन बनाने शुरू किए जिनमें से उनके प्रमुख व्यंजन मशरूम की जलेबी और मशरूम के बिस्किट होते हैं। बाजार में भाव अच्छा नहीं मिल रहा था जिसके चलते उन्होंने मशरूम की जलेबी बनानी शुरू की जो अच्छे दामों पर बेची जा रही है।
मशरूम का बीज तैयार करने में बना चुके विश्व रिकॉर्ड
मशरूम का बीज जिसको स्पर्म बोला जाता है, वह भी पिछले कई साल से तैयार कर रहे हैं जिसके चलते उनको राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने काफी समय पहले इस काम को शुरू किया था जिसको यह अभी तक कर रहे हैं और एक बड़े स्तर पर लेकर जा रहे हैं।
100 से ज्यादा बनाते हैं मशरूम के उत्पाद
प्रगतिशील की अशोक ने बताया कि मशरूम की जलेबी उनका सबसे अच्छा व्यंजन है जो पूरे भारत में काफी लोकप्रिय है। उसको वह विभिन्न किसान मेलों में और अन्य कार्यक्रम में लेकर जाते हैं। उन्होंने बताया कि वह 100 से ज्यादा खाने के उत्पाद मशरूम से बना रहे हैं जिसमें वह करीब आठ प्रकार की मशरूम प्रयोग करते हैं। इसमें वह जलेबी, बिस्किट, पकोड़े और और भी कई प्रकार के खाने के व्यंजन तैयार करते हैं।
इनकी जलेबी की लोकप्रियता इसे पता लगता है कि जब भारत में g20 कार्यक्रम आयोजित किया गया था, तब भारत सरकार के द्वारा उनको विशेष तौर पर दिल्ली आमंत्रित किया गया था। जहां पर उन्होंने भारतीय डेलिकेट के साथ-साथ विदेश से आए हुए अन्य डेलीगेट को भी मशरूम से बनी हुई जलेबी खिलाई थी। उनकी जलेबी काफी लोकप्रिय है। ब्रिक्स में भी वह अपनी जलेबी को लिगेट्स को खिला चुके हैं।
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तीन बार राष्ट्रपति से हो चुके सम्मानित, 6 राष्ट्रपति कर चुके उनके फार्म पर विजिट
वे तीन बार राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके हैं वहीं अशोक नने बताया कि उनकी पत्नी को कई बार नेशनल अवाॅर्ड मिल चुका है और उनकी मशरूम की खेती के साथ-साथ मशरूम के बनाए गए उत्पाद जैसे जलेबी और बिस्किट काफी लोकप्रिय रहे हैं, जिसके चलते उनको राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं। उसके साथ-साथ उन्होंने मशरूम का बीज तैयार किया था जिसके चलते उनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया था।
लोग खूब कर रहे पसंद
मेले में आए हुए लोग उनके बनाए गए उत्पादन जलेबी को खूब पसंद कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उन्होंने पहले पनीर और मैदे की जलेबी जरूर खाई है, लेकिन पहली बार ही उन्होंने मशरूम की जलेबी खाई है और इसका स्वाद भी काफी अच्छा है। दोनों पति-पत्नी मिलकर मशरूम की खेती को नए आयाम तक लेकर जा रहे हैं और वहीं दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वह मशरूम की खेती के साथ-साथ इसका प्रोडक्शन से उत्पाद बनाएं।