प्रवीण वालिया-करनाल, India News (इंडिया न्यूज), Transformed Satpula Park And Lake : लिबर्टी शूज लिमिटेड और संजीव बंसल चैरिटेबल ट्रस्ट के आर्थिक सहयोग से रोटरी क्लब  ऑफ साउथ  सैंट्रल  दिल्ली ने इंटक के साथ मिल कर भारत की राजधानी दिल्ली में सात सौ साल पुरानी झील को दो सालों में पुनर्जीवित कर दिया। सतपुला झील फिर से जिंदा हो उठी। लिबर्टी शूज केवल कारोबार में ही आगे नहीं हैं बल्कि सामाजिक सरोकार के साथ पुरातन इतिहास को जीवित करने में भी सबसे आगे हैं। जो झील दो साल पहले गंदा नाला थी। जहां सूखे क्षेत्र में बच्चे क्रिकेट खेला करते थे। Transformed Satpula Park And Lake

  • पहले गंदा नाला और सूखा पड़ा गंदा क्षेत्र था, आज बन गया पर्यटन केंद्र

Transformed Satpula Park And Lake : दो साल में इसे पूरा कर दिखाया

उसको कायाकल्प करने का लिबर्टी शूज तथा संजीव बंसल चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से रोटरी क्लब ऑफ दिल्ली साउथ  सेंट्रल तथा इंटेक ने बीड़ा उठाया। दो साल में इसे पूरा कर दिखाया। धरा की कोख सींचने के साथ अपने वजूद को नीले हरे नीर से दिखने लगी है। जीवों वनस्पतियों की अद्भुत दुनिया के संग इठलाने लगी है। कभी बड़े कैचमेंट एरिया का पानी इसी बांध से होकर दिल्ली सल्तनत के चौथे शहर जहांपनाह को सिंचित करता था। इस बारे में जानकारी देते हुए लिबर्टी शूज के एमडी शम्मी बंसल ने बताया कि अब तक सवा चार सौ करोड़ लीटर अमृत तुल्य पानी धरा की कोख को सिंचित कर चुका है। Transformed Satpula Park And Lake

सूख चुकी झील के आसपास बच्चों के लिए खेल का मैदान था

40 एकड़ में फैले सतपुला पार्क अब पिकनिक स्पार्ट के रूप में विकसित हो चुका है। यहां पर झील तथा दूसरी तरफ डीडीए ने व्यू प्वाइंट बना रखा है। साल 2022 तक झील केवल नाम था। सूख चुकी झील के आसपास बच्चों के लिए खेल का मैदान था। राजस्थान में चैक डेम बनाकर भूगर्भ जल को सिंचित करने वाली रोटरी क्लब ने लिबर्टी शूज के सहयोग से इसे पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी ली। इस भागीरथी प्रोजेक्ट को डीडीए और दिल्ली जल बोर्ड के सहयोग से काम शुरू किया। लिबर्टी शूज के एमडी शम्मी बंसल ने बताया कि इसको दो साल में पूरा कर दिया।

झील को पुनर्जीवित करने की राह में सबसे बड़ी चुनौति पानी के स्त्रोत की थी

इसे अब डीडीए को सुपुर्द कर दिया। श्री बंसल ने बताया कि झील को पुनर्जीवित करने की राह में सबसे बड़ी चुनौति पानी के स्त्रोत की थी। भूगर्भ जल का स्तर साठ मीटर नीचे था। ऐसे में बगल से गुजरने वाले सतपुला नाले के पानी को शोधित कर झील में डालने का निर्णय लिया गया। इसके लिए ईको इंजीनियर्ड अरण्यदीप और कंस्ट्रक्शन वेटलैंड सिस्टम स्थापित किए गए। नाले से पानी लिफ्ट कर कई चरणों में जैविक रूप से झील में छोड़ा जाता रहा है। उन्होंने बताया कि इससे झील में हमेशा पानी बना रहता है।

गिरई रोहू और कतला प्रजाति की 500 से ज्यादा मछलियां छोड़ी गई

मई 2024 से अब तक चार करोड तीस लाख लीटर पानी भूगर्भ में जा चुका है। झील के नीचे और भूगर्भ जल स्त्रोत के बीच का जो स्थान सूख चुका था। वह अब सिंचित है। पानी में बेहतर ईको सिस्टम विकसित करवाने के लिए गिरई रोहू और कतला प्रजाति की 500 से ज्यादा मछलियां छोड़ी गई हैं। पानी में ऑक्सीजन का स्तर 5.5 एमजी प्रति लिटर है। पानी की क्वालिटी की जांच नियमित करवाई जाती है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में भी वह चैकडेम बना कर लोगों को पानी के अभाव का समस्या से उबार चुके हैं। Transformed Satpula Park And Lake

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