• क्षेत्र में सरसों की फसल कटाई में जुटे किसान

India News (इंडिया न्यूज), Loharu News : लोहारू, सतनाली व आसपास के क्षेत्र में सरसों की फसल लगभग पक चुकी है तथा गेहूं की फसल भी पकाव की ओर है। ऐसे में क्षेत्र के किसान भगवान से मौसम ठीक रहने की कामना के साथ फसल कटाई की तैयारियों में जुट गए है। क्षेत्र में मार्च माह के अंतिम सप्ताह में गेहूं की फसल कटाई का काम शुरू होने की संभावना है वहीं दूसरी ओर किसान सरसों की फसल की कटाई में जुटे हुए है, क्योंकि मौसम विभाग द्वारा मौसम परिवर्तन की संभावना के चलते किसान जोखिम नहीं उठाना चाहते।

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Loharu News : मौसम का कुछ भी भरोसा नहीं

किसानों का कहना है कि मौसम का कुछ भी भरोसा नहीं है तथा यदि इस समय मौसम ने पलटी मारी तो उनकी सारी मेहनत व उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर जाएगा। गत फरवरी माह के अंतिम दिनों में हुई ओलावृष्टि के चलते दर्जनों गांवों के किसानों की फसल चौपट हो चुकी है। अब बची खुची फसल को लेकर किसान रिस्क नहीं लेना चाहते। ध्यान रहे कि क्षेत्र के खेतों में सरसों की फसल की कटाई शुरू हो गई है तथा गेहूं की फसल भी अब पकाव की ओर है तथा फसल पकने से पहले किसान अपनी तैयारी में लगे हुए है।

गेहूं की बालों को बांधने के लिए पराली की रस्सी तैयार करने लगे हैं किसान

किसान गेहूं की बालों को बांधने के लिए पराली की रस्सी तैयार करने लगे हैं। किसान महावीर सिंह, मोहन सिंह, रामफल, सुरेंद्र सिंह, चिरंजी आदि ने बताया कि क्षेत्र में गेहूं की फसल पकने की ओर है तथा फसल को उठाने हेतु जूण यानी पराली की रस्सी इत्यादि का जो कार्य है फसल कटाई से पहले ही किया जाता है ताकि फसल तैयार हो जाने पर किसी प्रकार की हड़बड़ाहट का सामना किसानों को करना पड़े।

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गेहूं थ्रेसिंग का कार्य भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा

क्षेत्र में आजकल ज्यादातर किसान कंबाइन द्वारा ही अपनी गेहूं की फसल को कटवा लेते हैं लेकिन अधिकतर किसान जो कृषि पशुपालन से जुड़े हुए है वह अपनी गेहूं की फसल की कटाई हाथ से करवाते हैं, क्योंकि उन्हें अपने पशुओं के लिए चारा भी अति आवश्यक होता है। एक दशक पूर्व के मुकाबले में आज क्षेत्र में अधिकतर किसान कंबाइन चारा बनाने वाले स्ट्रा रीपर के माध्यम से ही गेहूं की फसल को सहेजते है। जिसके चलते गेहूं थ्रेसिंग का कार्य भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

नए बीज की फसल लंबे समय तक खेतों में खड़े रखना भी नुकसानदायक

किसानों ने बताया कि आज कल नए बीज की फसल लंबे समय तक खेतों में खड़े रखना भी नुकसानदायक है, क्योंकि नए बीजों की फसलें पकने के बाद दो दिन की देरी भी सहन नहीं कर पाती। ऐसे में खेत में फसल गिरनी शुरू हो जाती है। किसानों ने बताया कि यह तो पहले समय में बोए जाने वाले देसी बीज थे जिन्हें किसान अपने घर से ही खेतों में बुवाई करता था, परंतु अब नई नई किस्मों के प्रयोग के चलते किसानों को रिस्क उठाना पड़ता है।

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