India News (इंडिया न्यूज), Mahipal Dhanda : एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, हरियाणा प्रांत के दो दिवसीय 22वें त्रेवार्षिक प्रांतीय अधिवेशन का शानदार आगाज़ मुख्य अतिथि महीपाल ढांडा, शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार के कर कमलों से हुआ। दो दिवसीय अधिवेशन का विषय ‘आत्मबोध से विश्वबोध’ है। प्रथम दिवस के सत्र की अध्यक्षता सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ अध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने की।

बतौर विशिष्ट अतिथि शरद अग्रवाल अतिरिक्त महाधिवक्ता हरियाणा और सानिध्य डॉ पूर्णमल गौड़ मार्गदर्शक हरियाणा प्रांत और डॉ मंजुलता रेडू उपाध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने मुख्य वक्ता के तौर पर भाग लिया। हरीश यादव अध्यक्ष और रणबीर आर्य समाज सेवी एवं उद्योगपति भी प्रथम सत्र का हिस्सा बनें। Mahipal Dhanda

  • एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, हरियाणा प्रांत के 22वें त्रेवार्षिक प्रांतीय अधिवेशन का शानदार आगाज़
  • मुख्य अतिथि महीपाल ढांडा, शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार ने किया अधिवेशन का शुभारम्भ

Mahipal Dhanda :  साहित्यकारों कि 11 नयी कृतियाँ रही जिनका विमोचन शिक्षा मंत्री ने किया

सायं कालीन सत्र में हरीश धनसोइयाँ विशिष्ट मेहमान के तौर पर, विधु कालरा अध्यक्ष गुरुग्राम इकाई मुख्य वक्ता, संतोष गर्ग उपाध्यक्ष हरियाणा प्रांत, प्रदीप शर्मा प्रधान अखिल भारतीय साहित्य परिषद् पानीपत इकाई और रमेश खुराना मार्गदर्शक अखिल भारतीय साहित्य परिषद पानीपत इकाई ने अधिवेशन में अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया। रात्रि के सत्र में काव्य संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें ख्याति प्राप्त तथा नवोदित कवीयों ने भाग लिया।

अधिवेशन में आकर्षण का केंद्र विभिन्न परिषद् की विभिन्न इकाइयों से पधारे साहित्यकारों कि 11 नयी कृतियाँ रही जिनका विमोचन माननीय शिक्षा मंत्री ने किया। मंच संचालन डॉ संतोष कुमारी और मनोज ने किया। मेहमानों का स्वागत एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) पानीपत के सचिव नरेश गोयल और प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने किया।

हर व्यक्ति साहित्यकार नहीं बन सकता

महीपाल ढांडा शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार ने कहा कि सभ्यताओं, गीत-संगीत, लोक गाथाएं,आदि को संजोने का काम साहित्य और साहित्यकारों का होता है। दुनिया में क्रान्ति पैदा करने का सबसे बड़ा हथियार साहित्य ही है। हमारा जीवन दर्शन कैसा हो, दुनिया में शान्ति और अमन कैसे स्थापित हो, यह सभी काम साहित्यकारों के जिम्मे होते है। जीवन की श्रेष्ठ कृति हमारी सर्वोत्तम पूंजी है। हर व्यक्ति साहित्यकार नहीं बन सकता।

Mahipal Dhanda ” साहित्य में जीवन का रस भी होना चाहिए

यह कला कुछ ही लोगों में विद्यमान होती है। साहित्यकार बिना कुछ कहे अपनी जिम्मेदारी चुप-चाप निभाता है और तभी साहित्य समाज के लिए नए आयाम पैदा करता है। उन्होंने अधिवेशन में भाग लेने वाले प्रत्येक साहित्यकार और लेखक से आग्रह किया कि वे इस अधिवेशन में अपने चिंतन से देश और विदेश सभी के लिए कुछ बेहतर विचार पैदा करें। साहित्य ऐसा होने चाहिए जो हमारा विकास भी करें और हममें संस्कार भी भरे। साहित्य में जीवन का रस भी होना चाहिए।

विमोचित कृतियों में ये कृतियाँ शामिल रही

आज विमोचित कृतियों में प्रोफेसर सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ रचित ‘गुरु-गौरव अमृत-कलश (मनुराज प्रकाशन), डॉ जगदीप शर्मा ‘राही’ कृत ‘ठंड्या आले खेत’ (निर्मला प्रकाशन), डॉ महेंद्र सिंह ‘सागर’ कृत नाटक ‘हवन’ (शब्दश्री प्रकाशन), लाज्पर राय गर्ग कृत ‘प्रेम के सियाह रंग’ (बोधि जन संस्करण), डॉ विनोद कुमार शर्मा कृत ‘अदृश्य रंग’ (साहित्य कलश पब्लिकेशन), डॉ मनोज भारत का यात्रा संस्करण ‘ऐसा देश है मेरा’ (साहित्य गार), गीता सैनी कृत ‘आत्म मंथन और मंजु मानव रचित ‘मेरी ऊँगली तेरे गीत’ (समदर्शी प्रकाशन) शामिल रही। Mahipal Dhanda

Mahipal Dhanda : मंत्री ने हिंदी भाषा को लेकर जो नया कदम उठाया, इस बात की ख़ुशी हुई

सारस्वत मोहन ‘मनीषी’ अध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने कहा कि शिक्षा मंत्री द्वारा दो लाख रुपए के अनुदान से ज्यादा उन्हें इस बात की ख़ुशी हुई है कि माननीय मंत्री ने हिंदी भाषा को लेकर जो नया कदम उठाया है। हिंदी के आवश्यक प्रयोग का फैसला आर्थिक सहयोग से कहीं अधिक महत्वपूर्ण और ठोस है। डॉ अनुपम अरोड़ा ने प्रोफेसर सारस्वत मोहन मनीषी का परिचय देते हुए कहा कि साहित्य के क्षेत्र में अपनी विभिन्न विधाओं के माध्यम से हरियाणा में अनेक लेखक और साहित्यकारों ने समाज को नया आयाम देने के लिए अपनी विभिन्न विधाओं में साहित्य साधना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। Mahipal Dhanda

डॉ. सारस्वत मोहन ने हिंदी और हरियाणवी दोनों में साहित्य सृजन किया

हरियाणा गौरवान्वित करने वाले ऐसे ही साहित्यकारों में शुमार सुप्रसिद्ध गीतकार, गजलकार, व्यंग्यकार एवं चिंतक डॉ. सारस्वत मोहन ने हिंदी और हरियाणवी दोनों में साहित्य सृजन किया है। उन्होंने अपनी साहित्य साधना में सामाजिक सरोकार के साथ राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों पर काव्य पाठ करके लोकप्रियता हासिल की है। उन्होंने गणतंत्र दिवस पर आयोजित लाल किला पर होने वाले कवि सम्मेलनों के मंच से अनेक बार काव्य पाठ किया है। Mahipal Dhanda

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