India News (इंडिया न्यूज), MP Kumari Selja : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रशासनिक लापरवाही से करनाल के गोदामों में रखा 97.50 करोड़ का गेहूं खराब हो गया जो खाने योग्य भी नहीं रहा है। प्रदेश के दूसरे जिलों में भी गोदामों में रखे गेहूं की जांच करवाई जाए। अधिकारियों की लापरवाही गरीबों की थाली से रोटी छीन रहे है, सरकार को इस मामला गंभीरता से लेते हुए दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि अन्न का अपमान देश के अन्नदाता का अपमान है। MP Kumari Selja
MP Kumari Selja : उनका वजन पूरा करने के लिए पानी का छिड़काव किया जाता
मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि मंडी से गेहूं के उठान के बाद विभिन्न एजेंसियों के गोदाम में रखा जाता है, गेहूं के रखरखाव का एजेंसी को भुगतान किया जाता है। सरकार अगर 2400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से गेहूं खरीद कर गोदाम में रखती है तो सारे खर्च लगाकर गेहूं 3900 रुपये प्रति क्विंटल जाकर पड़ता है।
मई 2024 में करनाल में जो गेहूं खरीदा गया था वह हैफेड के पांच गोदामों में रखा गया था। कुमारी सैलजा ने कहा कि गोदाम में गेहूं तो रख दिया जाता है पर उसके रखरखाव में ढिलाई बरती जाती है, कही पर कट्टों में से गेहूं निकाल लिया जाता है उनका वजन पूरा करने के लिए पानी का छिड़काव किया जाता है, अधिक पानी के छिड़काव से गेहूं खराब हो जाता है। MP Kumari Selja
गेंहू में सुरसरी लगने से वह खाने लायक भी नहीं रहा
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि करनाल जिला में नेवला, असंध और नीलोखेडी के गोदामों में रखे गेंहू में सुरसरी लगने से वह खाने लायक भी नहीं रहा। इन तीनों गोदामों में 80 प्रतिशत गेहूं खराब हो गया है ऐसा जांच में सामने आया है। खराब हुए गेहूं की कीमत 97.50 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
यह कहानी तो सिर्फ करनाल जिला की है अगर दूसरे जिलों में ऐसी ही लापरवाही बरती गई होगी तो न जाने कितने अरबों रुपये का गेहूं खराब हुआ होगा। सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए दोषियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और एक टीम का गठन करते हुए प्रदेश के दूसरे जिलों में गोदाम में रखे गेहूं की भी जांच करानी चाहिए। MP Kumari Selja
MP Kumari Selja : न गेहूं के उठान और न ही उसके रखरखाव पर ध्यान दे रही है सरकार
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में गेहूं की खरीद हर साल एक अप्रैल से शुरू की जाती है, ऐसे में सरकार को पहले ही तैयारी कर लेनी चाहिए, पर सरकार प्यास लगने पर ही कुआं खोदना शुरू करती है हर जिला में गेहूं की आवक जोरों पर है, हर जिला में 70 से 80 प्रतिशत गेहूं का उठान नहीं हो पाया है, हालात ये है कि मंडियों के बारे गेहूं की बोरियां या ढेरिया लगी हुई है।
मंडी के चारों ओर रास्ते बंद हो रहे है। मंडी और खरीद केंद्रों में अव्यवस्था ही अव्यवस्था है, सरकार के सभी दावे धरे के धरे दिखाई दे रहे हैं। सरकार को गेहूं के उठान और उसके रखरखाव की ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जब लापरवाही से अन्न की बर्बादी होती है तो अन्नदाता का अपमान होता है। MP Kumari Selja