करनाल- इशिका ठाकुर,  India News (इंडिया न्यूज), NDRI Karnal Big Achievement : दूध और पशुपालन क्षेत्र में हरियाणा के करनाल में स्थित राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान पिछले कई दशकों से काफी सराहनीय काम कर रहा है।  जिसकी बदौलत प्रदेश ओर देश में दूध उत्पादन में नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे है । इसकी कड़ी में राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) करनाल ने पशुपालन और दूध उत्पादन की दुनिया में इतिहास रचा है। पहली बार क्लोनिंग तकनीक से तैयार की गई गाय ‘गंगा’ के अंडाणुओं से दूसरे मादा पशु ने एक स्वस्थ बछड़ी को जन्म दिया है। NDRI Karnal Big Achievement

NDRI Karnal Big Achievement : न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि बेहतर नस्लों की क्रांति भी आएगी

इस कामयाबी ने पशु प्रजनन में मल्टीप्लिकेशन यानी एक ही उच्च नस्ल की गाय से कई पशुओं को जन्म देने का रास्ता खोल दिया है। अब एक गाय के गुणों को दर्जनों नए पशुओं में दोहराया जा सकेगा, जिससे डेयरी सेक्टर में न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि बेहतर नस्लों की क्रांति भी आएगी। यह सफलता भविष्य की डेयरी इंडस्ट्री की तस्वीर बदल सकती है।

NDRI Karnal Big Achievement : पहले एक मादा से एक बच्चा, अब एक से कई

बछड़े एनडीआरआई के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने सोमवार को संस्थान में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह तकनीक पहले की तुलना में ज्यादा कुशल, तेज और नैतिक रूप से भी सुरक्षित है। पहले जहां एक मादा पशु से एक ही बछड़ा पैदा होता था, अब क्लोनिंग तकनीक से उसी मादा के अंडों से कई पशुओं को जन्म दिया जा सकता है। इतना ही नहीं, इस प्रक्रिया में समय भी काफी कम लगता है। जिस कार्य में सामान्य तौर पर 48 महीने लगते, उसे वैज्ञानिकों ने महज 36 से 38 महीने में ही पूरा कर दिखाया है।

क्लोन गाय ‘गंगा’ से निकले भ्रूण, कई मादाओं में किया गया प्रत्यारोपण

मार्च 2023 में एनडीआरआई द्वारा विकसित की गई क्लोन गाय ‘गंगा’ अब पूर्ण रूप से मैच्योर हो चुकी है। डॉ. धीर सिंह ने बताया कि हमने गंगा से अंडे लेकर उन्हें लैब में मेच्योर कर अन्य मादा पशुओं के गर्भ में प्रत्यारोपित किया था। इनमें से एक मादा ने हाल ही में एक स्वस्थ बछड़ी को जन्म दिया है। यह प्रजनन बिना किसी स्लॉटरिंग के संभव हुआ है, यानी अंडे जीवित गाय से ही लिए गए और प्रयोगशाला में परिपक्व कर उन्हें दूसरे पशुओं में डाला गया

नामकरण अभी बाकी, वैज्ञानिकों को दी बधाई

इस बछड़ी का नामकरण अभी नहीं हुआ है, लेकिन संस्थान का कहना है कि जल्दी ही उसका नाम भी तय कर दिया जाएगा। इस सफलता पर डॉ. धीर सिंह ने संस्थान के सभी डेरी वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि हमारी यह तकनीक भविष्य के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। इससे जहां पशु पालकों को आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा, वहीं दूध उत्पादन में देश आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकेगा।

क्लोनिंग से आगे बढ़ा भारत, पूरी दुनिया की नजर

एनडीआरआई की यह उपलब्धि सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी वैज्ञानिकों का ध्यान खींच रही है। क्लोनिंग के क्षेत्र में भारत पहले ही उल्लेखनीय मुकाम हासिल कर चुका है और अब मल्टीप्लिकेशन तकनीक ने इस यात्राको नई दिशा दे दी है। इससे भारत में पशुधन की गुणवत्ता बढ़ेगी और दूध की मांग को पूरा करने में यह तकनीक सहायक साबित होगी।

भविष्य में बड़े पैमाने पर होगी यह तकनीक लागू

डॉ. धीर सिंह ने कहा कि अभी यह प्रयोग सीमित स्तर पर किया गया है, लेकिन जल्द ही इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा। संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम इस दिशा में लगातार कार्य कर रही है ताकि हर पशुपालक तक यह तकनीक पहुंचे और इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि यह सफलता भारत को डेयरी
विज्ञान की दुनिया में और ऊंचाई तक पहुंचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। NDRI Karnal Big Achievement

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