India News (इंडिया न्यूज)Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद भी तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इस बीच हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम तो हुआ है, लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सेना के जवान सीमा पर डटे हुए हैं और कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनका समाधान अभी नहीं हो पाया है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंत्री अनिल विज ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद विपक्षी दलों द्वारा विशेष सत्र बुलाने की मांग पर कहा कि वहां गुप्त बातें उजागर नहीं की जा सकतीं। उन्होंने कहा कि युद्ध से जुड़ी सभी बातें लीक नहीं होतीं, केवल वही बातें लीक की जा सकती हैं, जिनसे नुकसान न हो। उन्होंने कांग्रेसियों को मूर्ख बताते हुए कहा कि उन्हें युद्ध की कोई समझ नहीं है। उन्होंने कहा कि सेना में आपके बगल में खड़ा व्यक्ति भी नहीं जानता कि कौन सी मिसाइल कहां दागनी है, क्योंकि युद्ध की यही नीति है।
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‘युद्ध विराम तो हुआ है, लेकिन युद्ध खत्म नहीं हुआ है’ Operation Sindoor
वहीं भारत-पाक डीजीएमओ की बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच युद्ध विराम तो हुआ है, लेकिन युद्ध खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान नहीं बल्कि गैर पाकिस्तान है, उन्होंने कहा कि सेनाएं सीमा पर जस की तस डटी हुई हैं, वे बैरकों में नहीं गई हैं। जब सेनाएं बैरकों में चली जाती हैं, तब युद्ध खत्म माना जाता है। मंत्री विज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट संदेश है कि तुम गोली चलाओगे, तो हम भी मारेंगे। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान देख चुका है कि भारत की ताकत क्या है। भारत ने आतंकियों के ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।
‘इंदिरा गांधी के समय देश को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ’
इसके साथ ही विज ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब इंदिरा गांधी इस देश की प्रधानमंत्री थीं, तब उनसे ज्यादा नुकसान इस देश को किसी ने नहीं पहुंचाया। उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, लेकिन शिमला समझौते के लिए उन्हें (इंदिरा गांधी को) कभी माफ नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमें मांग करनी चाहिए थी कि हमारा पीओके हमें वापस दिया जाए, तो युद्ध अपने आप खत्म हो जाता। विज ने आगे कहा कि उस समय हमने 13 हजार एकड़ जमीन पर कब्जा किया था और वो भी हमने उन्हें मुफ्त में दे दी थी। उन्होंने कहा कि इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था क्योंकि हमारे पास 93 हजार युद्धबंदी थे। जो लड़ाई सेना ने मैदान में जीती, इंदिरा गांधी वो लड़ाई टेबल पर हार गईं।