प्रवीण वालिया-करनाल, India News (इंडिया न्यूज), International Anti-Drug Day : 7 दिसंबर 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सर्वसम्मति से पूरे विश्व में 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। तब से विश्व के लोगों को नशीली वस्तुओं और पदार्थों के सेवन और उपभोग से होने वाले दुष्प्रभावों बारे जागरूक करने का कार्य आरम्भ हुआ था।
डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि भारत में 14 सितम्बर 1985 से ही नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट नंबर 61 वर्ष 1985 लागू किया था जिसे हिंदी में स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम संख्या 61 वर्ष 1985 कहते हैं। International Anti-Drug Day
- केरल, महाराष्ट्र, पंजाब नशाखोरी में बढ़ती प्राथमिकियां और मौतें
- हाईकोर्ट का संज्ञान : मेडिकल स्टोर्स से नशीली दवाओं की अवैध बिक्री पर रोक जरूरी
International Anti-Drug Day : इसमें 1988, 2001, 2014 और 2021 में चार बार संशोधन भी किया गया था
अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के साथ साथ आवश्यकतानुसार इसमें 1988, 2001, 2014 और 2021 में चार बार संशोधन भी किया गया था। तत्पश्चात भारत में वर्ष 1988 में स्वापक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम अधिनियम, संख्या 46 वर्ष 1988 लागू किया गया ताकि ऐसे लोगों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई की जा सके। नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट या एनडीपीएस अधिनियम 1985, नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के भंडारण, उपभोग, परिवहन, खेती, कब्ज़ा, बिक्री, खरीद और विनिर्माण को विनियमित करने के लिए एक व्यापक कानून है।
हरियाणा में भांग के पौधों को नष्ट करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया
यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि भारत में वर्ष 1985 तक भांग और इसके डेरिवेटिव, चरस और मारिजुआना प्रतिबंधित नहीं थे लेकिन उपरोक्त अधिनियम के पश्चात प्रतिबंधित किये गए हैं। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2024 में यह आदेश पारित किया गया था कि वर्षा आरम्भ होने से पूर्व जहाँ कहीं भी भांग के पौधे खड़े हों उन्हें नष्ट किया जाए। फलस्वरूप हरियाणा में भांग के पौधों को नष्ट करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया गया। International Anti-Drug Day
नशे की बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक ठोस नीति बनाने की जरुरत
सामान्य रूप से नशे में बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू और शराब को ही गिना जाता है लेकिन आज के समय में ड्रग्स के नशे का सेवन, व्यापार और प्रचलन बहुत अधिक तीव्रता से बढ़ रहा है जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत के सबसे समृद्धशाली प्रान्त पंजाब को आज उड़ता पंजाब के नाम से जाना जाता है।
वर्ष 1999 में पंजाब की जीडीपी पुरे भारत की जीडीपी के समकक्ष हुआ करती थी लेकिन वहां के लोगों में ड्रग्स का प्रचलन ऐसा बढ़ा कि आज पंजाब प्रान्त में कई गाँव ऐसे हैं जहाँ एक भी पुरुष नहीं है। यद्यपि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के प्रदर्शित आंकड़ों पर दृष्टिपात करें तो केरल में 26,619 प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं।
केरल प्रथम तथा महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर
महाराष्ट्र में 13830 और पंजाब में 12442 प्राथमिकियां दर्ज हुई है। इस आधार पर पंजाब तीसरे नंबर पर आता है और केरल प्रथम तथा महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। पंजाब के सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक कारागार, शशि कांत ने इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हर महीने एक हज़ार किलो हैरोइन की तस्करी देश में हो रही है। यह नशा म्यांमार, कंबोडिया, अफगानिस्तान, व् उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से भारत में पहुँच रहा है।
नशे की तस्करी से हमारी भावी युवा पीढ़ी के जीवन को संकट
मेडिकल स्टोरों पर बिकने वाली नशीली दवाईयों के संज्ञान पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान अपनाते हुए कहा कि इनकी बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक ठोस नीति बनाने की जरुरत है। इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान ही भारत पाकिस्तान सीमा पर कंटीली तारों के बीच पाइप डालकर नशा पहुचाने का मामला भी उठा। इससे स्पष्ट है कि किस प्रकार नशे की तस्करी से हमारी भावी युवा पीढ़ी के जीवन को संकट है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए माननीय उच्च न्यायलय ने सुझाव भी मांगे थे। International Anti-Drug Day
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में देश में 704 मौतें नशाखोरी के कारण हुई हैं जिसमें तमिलनाडु में 108, कर्णाटक में 67, उत्तर प्रदेश में 64, राजस्थान में 60, गुजरात में 49, मध्य प्रदेश में 44, महाराष्ट्र में 7 मुख्य हैं। यदि हम मध्य प्रदेश की बात करें तो वर्ष 2017 से वर्ष 2019 के बीच मध्य प्रदेश में कुल मृत्यु 140 हुई हैं जिनमे 22 महिलाएं हैं।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष भारत में नशीले पदार्थों की ओवरडोज़ के कारण 116 महिलाओं की मृत्यु हुई है। कुल 681 लोगों की मौत नशीली दवाओं के अधिक सेवन से हुई है इसमें सबसे अधिक 144 मौतें पंजाब में हुई है जो राज्य में नशे की उपलब्धता की और संकेत करती है। इसके बाद राजस्थान में 117 लोगों की मृत्यु हुई है और मध्य प्रदेश में 74। International Anti-Drug Day