India News (इंडिया न्यूज), Shri Shri Ravi Shankar : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालिक विवादों को सुलझाने में मध्यस्थता करने वाले विश्व विख्यात मानवतावादी गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने आज भारत के माननीय अटॉर्नी जनरल श्री आर. वेंकटरमणि के साथ मिलकर ‘द आर्ट ऑफ लिविंग मेडिएशन पहल’ का शुभारंभ किया। यह संवाद-आधारित शांतिपूर्ण समाधान को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक आवश्यक और सार्थक कदम है। Shri Shri Ravi Shankar
- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर और भारत के अटॉर्नी जनरल श्री आर. वेंकटरमणी ने द आर्ट ऑफ लिविंग के विशेष मध्यस्थता अभियान का किया शुभारंभ
Shri Shri Ravi Shankar : एक विचार आया कि इसके लिए जन-जागरण अभियान चलाया जाए
“एक महीने पहले जब राष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन हुआ था।” माननीय अटॉर्नी जनरल श्री वेंकटरमणि ने साझा किया, “माननीय राष्ट्रपति जी ने कहा था कि मध्यस्थता के विषय को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जाना चाहिए। उस समय एक विचार आया कि इसके लिए जन-जागरण अभियान चलाया जाए। मुझे यह नहीं मालूम था कि इसकी पहली लहर कनकपुरा, गुरुदेव के आश्रम से उठेगी।”
एक को सेब काटने का अधिकार देता हूँ और दूसरे को टुकड़ा चुनने का
गुरुदेव ने अपने दशकों के अनुभवों को साझा किया, जिसमें उन्होंने विश्वास, करुणा और आंतरिक परिवर्तन के माध्यम से विरोधी पक्षों को एक साथ लाने का कार्य किया है। गुरुदेव ने कहा,“मध्यस्थता में, मैं एक को सेब काटने का अधिकार देता हूँ और दूसरे को टुकड़ा चुनने का।
जब एक को काटना और दूसरे को चुनना होता है, तो दोनों स्वाभाविक रूप से निष्पक्ष हो जाते हैं। यही मध्यस्थता का सार है – इसमें समाधान थोपा नहीं जाता, बल्कि दोनों पक्ष स्वयं अपनी बात सुनकर समाधान तक पहुंचते हैं। अदालत में निर्णय अक्सर किसी की जीत और किसी की हार होती है, जबकि मध्यस्थता में दोनों कुछ न कुछ लेकर जाते हैं, और सशक्त महसूस करते हैं।”
दोनों पक्षों को मध्यस्थ पर विश्वास हो
मध्यस्थ की भूमिका पर बात करते हुए गुरुदेव ने कहा,“मध्यस्थता तभी संभव है जब दोनों पक्षों को मध्यस्थ पर विश्वास हो। एक अच्छा मध्यस्थ योगी होना चाहिए, जिसमें आत्मिक गहराई हो, धैर्य हो और जो दोनों पक्षों की बात को शांत चित्त से सुन सके और उनके लिए सर्वोत्तम समाधान निकाल सके।” गुरुदेव ने बताया कि आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक पिछले एक दशक से मध्यस्थता कर रहे हैं लेकिन अब इसके लिए एक संगठित प्रशिक्षण प्रणाली विकसित की गई है।
Shri Shri Ravi Shankar : एक तनावमुक्त और समरस समाज की कल्पना
यह पहल गुरुदेव के उस दर्शन पर आधारित है जिसमें एक तनावमुक्त और समरस समाज की कल्पना है – जहाँ मतभेदों का समाधान विरोध या संघर्ष के माध्यम से नहीं, बल्कि संवाद, सहानुभूति और आंतरिक स्थिरता के साथ किया जाता है। प्रारंभ में यह पहल पारिवारिक, वैवाहिक, कार्यस्थल और सामुदायिक विवादों जैसे संबंध-आधारित मुद्दों पर केंद्रित है। यह एक सुरक्षित, गोपनीय और तटस्थ मंच प्रदान करती है जहाँ समाधान को स्वयं दोनों पक्षों द्वारा खोजा जाता है। इस पहल की विशेषता यह है कि इसके मध्यस्थ ध्यान और श्वास तकनीकों में प्रशिक्षित होते हैं, जिससे वे भावनात्मक रूप से संतुलित और स्पष्ट होते हैं।
व्यक्ति स्वयं अपने समाधान की ओर सशक्त रूप से बढ़ सकेंगे
इस समय, पहल के अंतर्गत ऑनलाइन मध्यस्थता सत्र और विवाद दर्ज करने हेतु एक मंच उपलब्ध है। भविष्य में पूरे भारत में भौतिक केंद्र स्थापित करने की योजना है। यह पहल मेडिएशन अधिनियम 2023 के अनुरूप है और गोपनीयता व निष्पक्षता की पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी, जिससे न केवल न्यायालयों पर बोझ कम होगा बल्कि व्यक्ति स्वयं अपने समाधान की ओर सशक्त रूप से बढ़ सकेंगे। गुरुदेव ने विश्व के कई जटिल और संवेदनशील संघर्षों में अपनी गहरी समझ, पूर्ण तटस्थता और मानवीय संवेदनाओं के साथ मध्यस्थता की है।
संयम, समावेशिता और समाधान का मार्ग प्रशस्त किया
कोलंबिया में FARC विद्रोहियों से संवाद, जो ऐतिहासिक शांति समझौते का आधार बना। कश्मीर में शोक संतप्त परिवारों को जोड़ना, पूर्वोत्तर और बिहार में आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों को हिंसा से बाहर निकाल कर उन्हें नवजीवन की दिशा देना या अयोध्या भूमि विवाद जैसे भारत के सबसे संवेदनशील मामलों में न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के रूप में कार्य करना हो।
गुरुदेव ने सभी में संयम, समावेशिता और समाधान का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी कार्यपद्धति कानूनी सीमाओं से परे जाकर समुदायों के बीच विश्वास और सम्मान को बढ़ाती है। गुरुदेव का संदेश स्पष्ट है – स्थायी शांति केवल वार्तालाप से नहीं, बल्कि गहराई से सुनने और सभी पक्षों की वास्तविकताओं को समझने से आती है। Shri Shri Ravi Shankar