करनाल-इशिका ठाकुर, India News (इंडिया न्यूज), Dr Saubhagya Sindhu : पिछले कुछ सालों से करनाल सहित पूरे हरियाणा में आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं । आत्महत्या करने के मामलों में स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्गों की उम्र तक के लोग शामिल हैं। हालांकि पहले सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों के आत्महत्या करने के मामले सामने आते थे। लेकिन अब बच्चे भी आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा रहे हैं। इसी मामले को लेकर हमने करनाल नागरिक अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉक्टर सौभाग्य सिंधु से बातचीत की ओर जाने की क्यों इस प्रकार के मामले बढ़ रहे हैं और इनको किस प्रकार से कम किया जा सकता है। Dr Saubhagya Sindhu
Dr Saubhagya Sindhu : स्कूली बच्चों में आत्महत्या के कारण
डॉक्टर सौभाग्य सिंधु मनोचिकित्सक करनाल नागरिक अस्पताल ने बताया कि स्कूली बच्चों में भी अब आत्महत्या करने के मामले देखने को मिल रहे हैं। बच्चे अब पढ़ाई का ज्यादा दबाव मान रहे हैं । जिसके चलते वह इस प्रकार का कदम उठा रहे हैं। इसके साथ-साथ बच्चे और हर वर्ग के लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते है।
अगर उनको थोड़े कम व्यू और लाइक मिले तो इससे भी वह तनाव में आ जाते हैं और आत्म हत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। इतना ही नहीं बच्चों में भी अब सहनशक्ति कम हो गई है । जिसके चलते इस प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं। बच्चे खेलकूद से ज्यादा फोन पर या अकेले में अपना समय व्यतीत करना पसंद करते हैं इसी के चलते इस प्रकार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। Dr Saubhagya Sindhu
मध्यम वर्ग और बुजुर्गों में भी आत्महत्या करने के मामले
उन्होंने बताया कि अगर बच्चों से थोड़ी बड़ी उम्र के लोगों या बुजुर्गों की बात करें तो उनके भी पहले से ज्यादा आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं। जो हमारी युवा पीढ़ी है वह आजकल सोशल मीडिया की दीवानी हो चुकी है । तो वहीं उन पर घर की जिम्मेदारियों का दबाव बना रहता है, जिसके साथ-साथ उनका अपने लिए और परिवार के लिए पैसा कमाना भी जरूरी होता है।
बुढ़ापे में अपने आप में अकेलापन महसूस करते
तो वहीं कई बार परिवार में ऐसी परिस्थिति हो जाती है जिसके चलते आपस में तनाव को जाता है और इन सभी कारणों के चलते वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। सबसे ज्यादा मामले युवाओं में रोजगार को लेकर यानी आमदनी को लेकर और किसी भी प्रकार के पारिवारिक या परिजन से झगड़ा को लेकर आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं। इसके साथ-साथ जो बुजुर्ग लोग हैं वह बुढ़ापे में अपने आप में अकेलापन महसूस करते हैं क्योंकि बच्चों के पास और बड़ों के पास उनको समय देने के लिए समय की कमी हो गई है। इसके चलते बुजुर्ग अकेलापन महसूस करते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।
तनाव में होने की कैसे करें पहचान
डॉक्टर सौभाग्य सिंधु ने बताया कि आत्महत्या करने वाला कोई भी आयु वर्ग का हो सकता है। लेकिन उसकी सबसे बड़ी आत्महत्या करने की वजह तनाव होता है। लेकिन यह तनाव इंसान पर एकदम नहीं आता वह बीते कुछ समय से तनाव में रहता है और धीरे-धीरे वह इसमें इतना परेशान हो जाता है कि वह आत्महत्या करने जैसा कदम उठा लेता है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने के मामले पहले से ज्यादा बढ़े हैं इसका कारण है तनाव। वह किसी भी कारण हो सकता है बच्चों में पढ़ाई की वजह से, सोशल मीडिया में कम पापुलैरिटी मिलने से , युवाओं को रोजगार न मिलने से, पारिवारिक रिश्ते अच्छे ना होने के चलते या अकेलापन होने से।
समय रहते हम बातचीत करके उनकी समस्या का हल करके तनाव से निकाल सकते हैं बाहर
लेकिन अगर कोई इंसान तनाव में है तो हम उसकी पहचान कर सकते हैं वह एकदम से चुपचाप रहता है और कहीं खोया हुआ सा बैठा रहता है। उसकी हैबिट बदल जाती हैं तो वहीं उसका स्वभाव भी बदल जाता है । वह चिड़चिड़ा हो जाता है या बिल्कुल अकेला बैठा रहता है। वह खाने की मात्रा कम कर देता है यह कई चीज हैं जिनसे हम उनकी पहचान कर सकते हैं और उनका समय रहते हम बातचीत करके उनकी समस्या का हल करके तनाव से बाहर निकाल सकते हैं।
किस प्रकार से आत्महत्या के मामले किए जा सकते हैं कम
उन्होंने बताया कि हर वर्ग में अब आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं । ऐसे में अब हर किसी के लिए जरूरी है कि वह अपनों का खास ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि बच्चों को ज्यादा समय के लिए फोन ना दें ताकि वह सोशल मीडिया से दूर रहे और वही इसके साथ-साथ उनकी पढ़ाई के लिए ज्यादा दबाव न बनाएं और उनके साथ समय व्यतीत करें। जिसके चलते वह अकेलापन महसूस ना करें क्योंकि किसी भी प्रकार से तनाव में आकर इंसान अपने आप को अकेला महसूस करता है और वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है।
तो वहीं बड़ी उम्र के लोगों के लिए भी यही एक मात्र उपाय है कि वह किसी भी प्रकार से तनाव में ना आए अगर वह अपने आप को तनाव में ले जाते हैं तो निश्चित तौर पर वह आत्महत्या करने जा सकता कदम उठा लेते हैं । ऐसे में उनके साथ बैठकर उनकी समस्या को सुने उसका समाधान करने की कोशिश करें या फिर उनको समझने की कोशिश करें। ताकि वह इस प्रकार के कदम ना उठाएं। Dr Saubhagya Sindhu
तनाव के चलते करते हैं आत्महत्या, स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लोगों की की जाती है काउंसिल
उन्होंने बताया कि आत्महत्या करने के मामले को बढ़ता हुआ देख स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है । इसलिए सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की टीम के द्वारा इसके ऊपर काम किया जा रहा है। जो लोग किसी भी प्रकार से तनाव में चले जाते हैं उनका इलाज यहां पर फ्री में किया जा रहा है तो वही उनकी मनोस्थिति जांचने के बाद काउंसलिंग भी की जाती है।
इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति तनाव में महसूस करता है और वह अकेला रहता है तो उसके लिए भी 24 घंटे के लिए हेल्पलाइन नंबर 18008914416 जारी किया गया है। जिसमें वह अपनी समस्या हेल्पलाइन पर मौजूद कर्मचारियों को बता सकता है और वह उसको हल करने का काम करता है या उसको सही गाइडलाइन देता है जिससे वह तनाव से बाहर आ सके।
Dr Saubhagya Sindhu : अपनों के बीच रहे, व्यायाम कसरत जरूर करें
उन्होंने बताया कि आज के समय में इंसान के लिए सबसे जरूरी हो गया है कि अपने परिवार के किसी भी सदस्य को अकेला ना छोड़े क्योंकि अकेलापन ही इंसान को आत्महत्या की ओर लेकर जाता है । उसके साथ बातचीत करते रहे उसकी समस्याओं को सुने और उसको समझने की कोशिश करें। इसके साथ-साथ तनाव से दूर रहने के लिए वह अपने व्यस्त शेड्यूल में से समय निकालकर अपने शरीर के लिए टाइम जरूर दें
वह योग व्यायाम कसरत दौड़ किसी भी प्रकार के शारीरिक एक्टिविटी करें क्योंकि हर किसी पर आज के समय में तनाव है और ऐसे में हमें कुछ समय निकालकर अपने शरीर को जरूर देना चाहिए जिससे हम स्वस्थ रह सके और जो हमारा दिमाग बुरे कामों की तरफ डायवर्ट होता है वह डायवर्ट होने से रुके और हम स्वस्थ रहें और तनाव में आने से बचे रहें। Dr Saubhagya Sindhu