India News (इंडिया न्यूज़), Developing Holes in Lungs: ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि हर 3,000 में से एक व्यक्ति के शरीर में एक दोषपूर्ण जीन होता है, जिससे फेफड़ों के फटने (पंक्चर) का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में “न्यूमोथोरैक्स” कहा जाता है। यह तब होता है जब फेफड़े में हवा लीक हो जाती है, जिससे फेफड़ा सिकुड़ जाता है। इस समस्या के कारण व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई और दर्द का सामना करना पड़ता है।

बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम: एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 5.5 लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि हर 2,710 से 4,190 में से एक व्यक्ति के शरीर में एफएलसीएन (FLCN) नामक जीन का एक विशेष प्रकार होता है। इस जीन के कारण बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम नामक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।

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यह बीमारी निम्नलिखित लक्षणों से जुड़ी होती है:

  1. त्वचा पर छोटे-छोटे गांठ जैसे ट्यूमर।
  2. फेफड़ों में सिस्ट (गांठें)।
  3. किडनी (गुर्दे) के कैंसर का बढ़ा हुआ खतरा।

हालांकि, यह आवश्यक नहीं है कि हर फेफड़े के पंक्चर का कारण यही जीन हो। अन्य कारक भी इस स्थिति में भूमिका निभा सकते हैं।

फेफड़ों में छेद और किडनी कैंसर का खतरा

‘थोरेक्स’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम वाले मरीजों में जीवनभर फेफड़ों में छेद होने का खतरा 37% था। जबकि केवल एफएलसीएन जीन में बदलाव वाले लोगों में यह जोखिम 28% तक सीमित था।

किडनी कैंसर के मामले में, बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम वाले लोगों में इसका खतरा 32% तक देखा गया। वहीं, एफएलसीएन जीन में बदलाव वाले लेकिन बीमारी से मुक्त व्यक्तियों में यह खतरा केवल 1% था।

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डायग्नोसिस और उपचार

यदि किसी व्यक्ति का फेफड़ा पंक्चर हो जाए और वह सामान्य लक्षणों (जैसे युवा उम्र और दुबला-पतला शरीर) में फिट न बैठता हो, तो डॉक्टर एमआरआई के माध्यम से उसके फेफड़ों की जांच करते हैं। एमआरआई में निचले फेफड़ों में सिस्ट दिखाई देने पर बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम की संभावना होती है।

डॉक्टर फेफड़ों से हवा या तरल निकालकर न्यूमोथोरैक्स का उपचार करते हैं। हालांकि, अधिकतर मामलों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है।

महत्वपूर्ण जानकारियां

प्रोफेसर मार्सिनियाक का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम है, तो उसके परिवार के अन्य सदस्यों में भी किडनी कैंसर का खतरा हो सकता है। इस कारण बीमारी का समय पर पता लगाना और निगरानी करना बेहद आवश्यक है।

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समय पर पहचान और बचाव

यह भी देखा गया है कि फेफड़े के पंक्चर की समस्या अक्सर किडनी कैंसर के लक्षण दिखने से 10-20 साल पहले होती है। इसका अर्थ है कि यदि समय रहते इस स्थिति की पहचान हो जाए, तो नियमित जांच और निगरानी से किडनी कैंसर को समय पर पकड़ा और ठीक किया जा सकता है।

बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर आनुवंशिक बीमारी है, जो त्वचा, फेफड़ों और किडनी को प्रभावित करती है। हालांकि, नियमित जांच और समय पर उपचार से इससे जुड़े जोखिमों को कम किया जा सकता है। यह अध्ययन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रभावित व्यक्तियों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने में मददगार साबित हो सकता है।

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