India News (इंडिया न्यूज),Aak ke patte ke fayde: वैसे तो यह पौधा हर जगह पाया जाता है, लेकिन इसके उपयोग के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, इसलिए यहां हम आपको इसके उपयोग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। आक-अर्क के पौधे शुष्क, बंजर और ऊंची भूमि में लगभग हर जगह पाए जाते हैं। इस पौधे के बारे में आम समाज में यह भ्रांति है कि आक का पौधा जहरीला होता है और यह मनुष्य के लिए जानलेवा होता है। इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी है, क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसे उपविषों में गिना गया है। यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो व्यक्ति उल्टी-दस्त के कारण यमराज के घर जा सकता है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन सही मात्रा में, सही तरीके से, चतुर वैद्य की देखरेख में किया जाए तो यह कई रोगों में बहुत लाभकारी होता है।

आक का पत्ता क्या है

इसका हर भाग औषधि है, हर भाग उपयोगी है और यह सूर्य के समान तीक्ष्ण, पारे के समान चमकीला और उत्तम एवं दिव्य रासायनिक गुणों से युक्त है। यह पौधा अकौवा एक औषधीय पौधा है। इसे मदार, मंदार, आक, अर्क भी कहते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छतरी के आकार का होता है। पत्ते बरगद के पत्तों की तरह मोटे होते हैं। सफेद रंग के हरे पत्ते पकने पर पीले हो जाते हैं। इसका फूल सफेद और छोटा छतरी के आकार का होता है। फूल पर रंग-बिरंगे धब्बे होते हैं। फल आम जैसे होते हैं जिनके अंदर रूई होती है। आक की शाखाओं से दूध निकलता है। वह दूध जहर का काम करता है। आक गर्मी के दिनों में रेतीली जमीन पर उगता है। बरसात के मौसम में बारिश होने पर यह सूख जाता है।

इसके अद्भुत लाभ

  • आक के पौधे के पत्ते को उल्टा करके (उल्टा मतलब पत्ते का खुरदुरा भाग) पैर के तलवे पर रखें और मोजे पहन लें। इसे सुबह और दिनभर पहने रखें और रात को सोते समय उतार दें। एक सप्ताह में आपका शुगर लेवल सामान्य हो जाएगा। साथ ही निकला हुआ पेट भी कम हो जाता है।
  • आक का हर भाग औषधि है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य की तरह तीक्ष्ण और चमकदार है और इसमें पारे जैसा दिव्य रसायन है। कहीं-कहीं इसे ‘वनस्पति पारा’ भी कहा गया है। आक के कोमल पत्तों को मीठे तेल में जलाकर अंडकोष की सूजन पर बांधने से सूजन दूर हो जाती है। और पत्तों को कड़वे तेल में जलाकर गर्मी के घाव पर लगाने से घाव भर जाता है।
  • इसके कोमल पत्तों के धुएं से बवासीर ठीक हो जाती है। आक के पत्तों को गर्म करके बांधने से चोट ठीक हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक की जड़ के चूर्ण में पिसी काली मिर्च मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खाने से खांसी ठीक हो जाती है।
  • आक की जड़ की राख को कड़वे तेल के साथ लगाने से खुजली ठीक हो जाती है। आक के सूखे डंठल को एक ओर से जलाकर दूसरी ओर से जोर से धुआँ खींचने से सिर दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
  • आक के पत्ते और डंठल को पानी में डालकर उसी पानी से एनिमा लेने से बवासीर ठीक हो जाती है। आक की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करने से उपदंश (गर्मी) ठीक हो जाती है। उपदंश के घाव पर भी आक का चूर्ण छिड़कना चाहिए। घाव को आक की छाल से धोएं।
  • आक की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से नाखूना रोग ठीक हो जाता है। आक की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें, इसमें गुड़ मिलाकर खाएँ, इससे सर्दी का बुखार ठीक हो जाता है।
  • आक की जड़ 2 सेर लेकर 4 सेर पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए तो जड़ निकालकर 2 सेर गेहूँ पानी में छोड़ दें। जब जलन बंद हो जाए तो उसे सुखा लें और गेहूँ को पीसकर आटा बना लें। सवा किलो आटे की रोटी या पाव रोटी बनाकर उसमें गुड़ और घी मिला लें। इसे रोजाना खाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है। कई दिनों का गठिया रोग 21 दिन में ठीक हो जाता है।
  • आक का दूध पैर के अंगूठे पर लगाने से दुखती आंख ठीक हो जाती है। बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से दूर हो जाते हैं। ततैया के डंक पर लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शांत हो जाती है।
  • आक का दूध उस स्थान पर लगाने से जहां बाल उड़ गए हों, बाल दोबारा उग आते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इसका दूध आंखों में न जाए अन्यथा आंखें खराब हो जाती हैं। उपरोक्त में से कोई भी उपाय सावधानीपूर्वक अपनी जिम्मेदारी पर करें।

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