India News (इंडिया न्यूज), Anti-Ageing Plant: हर कोई चाहता है कि उसकी त्वचा हमेशा जवां और चमकदार दिखे, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं और त्वचा ढीली पड़ने लगती है। वैज्ञानिकों ने एक चमत्कारी पौधा खोजा है जिसमें प्राकृतिक रूप से एंटी-एजिंग गुण पाए जाते हैं। इस पौधे का नाम नीलपुष्प या वनोकरा है, जिसे आमतौर पर खेतों में उगने वाली घास माना जाता है। हाल ही में हुए शोध में पाया गया है कि यह पौधा कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाकर त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करता है।

नीलपुष्प क्या है?

नीलपुष्प, जिसे कॉकलेबर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में खेतों और खाली पड़ी जमीनों में अपने आप उगता है। इसे स्थानीय रूप से खगरा, खगरा या वनोकरा के नाम से जाना जाता है। यह पौधा हरे रंग का होता है और शुरू में इसके फल मुलायम होते हैं, लेकिन बाद में इनमें छोटे-छोटे कांटे उग आते हैं। वैज्ञानिकों ने इसकी पत्तियों, तनों और फलों का अध्ययन करके इसमें विशेष तत्वों की मौजूदगी का पता लगाया है, जो त्वचा को जवां बनाए रखते हैं।

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झुर्रियों को कैसे करता है दूर?

शोध के अनुसार, वनोकरा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की कोशिकाओं में मौजूद फ्री रेडिकल्स को खत्म करते हैं। फ्री रेडिकल्स त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं और झुर्रियों का मुख्य कारण होते हैं। इसके अलावा, इसमें मौजूद खास यौगिक कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। कोलेजन एक तरह का प्रोटीन है, जो त्वचा को मुलायम, टाइट और जवां बनाए रखता है। उम्र बढ़ने के साथ कोलेजन का स्तर कम होने लगता है, जिससे त्वचा पर झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं। वनोकरा के तत्व इसे फिर से बढ़ाने और त्वचा की जवानी लौटाने में मदद करते हैं।

सूर्य की किरणों से नहीं होने देता नुकसान

अधिक धूप और पराबैंगनी किरणों के कारण त्वचा जल्दी बूढ़ी हो जाती है। वनोकरा में त्वचा की मरम्मत करने की अद्भुत क्षमता होती है, जो हानिकारक सूर्य की किरणों से होने वाले नुकसान की मरम्मत करने में मदद कर सकती है। यह त्वचा की कोशिकाओं को पोषण देकर उनके पुनर्जनन में मदद करता है, जिससे चेहरा चमकदार दिखता है।

क्या कहता है शोध?

यह अध्ययन अमेरिकन सोसायटी ऑफ बायोकेमिस्ट्री की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया, जिसमें प्रमुख शोधकर्ता युनसु सोंग ने कहा कि वनोकरा के फलों में त्वचा की जवांपन को बनाए रखने की अनोखी क्षमता होती है। यही कारण है कि वैज्ञानिक अब एंटी-एजिंग क्रीम और कॉस्मेटिक उत्पादों में इसके इस्तेमाल की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

त्वचा पर कैसे करें इस्तेमाल?

वैज्ञानिक शोध अभी भी जारी हैं, लेकिन परंपरागत रूप से नीलपुष्प के पत्तों और फलों का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने की बात कही जाती रही है। हालांकि, विशेषज्ञ की सलाह के बिना इसका सीधे इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं होगा। आने वाले समय में इस पौधे के अर्क से बनी एंटी-एजिंग क्रीम बाजार में उपलब्ध हो सकती हैं।

क्या वाकई है रामबाण ?

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि वनोकरा में कई एंटी-एजिंग गुण हैं, लेकिन यह कोई जादुई इलाज नहीं है। अगर इसे स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और त्वचा की देखभाल के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो इसके प्रभाव बेहतर हो सकते हैं। अगर भविष्य में यह शोध सकारात्मक साबित होता है, तो आने वाले समय में वनोकरा से बनी क्रीम और त्वचा की देखभाल करने वाले उत्पाद बाजार में धूम मचा सकते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि नीलापुष्पा बढ़ती उम्र को रोकने का एक प्राकृतिक रहस्य साबित हो सकता है।

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