India News (इंडिया न्यूज), Ayurvedacharya Tarachand Sharma: आज के दौर में बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह न केवल उनकी शारीरिक फिटनेस पर असर डालता है, बल्कि उनकी मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आयुर्वेदाचार्य ताराचंद शर्मा ने इस समस्या का समाधान सरल और प्रभावी उपायों के माध्यम से दिया है। उनकी सलाह न केवल वैज्ञानिक है, बल्कि बच्चों की स्वस्थ आदतें विकसित करने में भी मददगार साबित होती है।

“बेटा, क्या खाओगे” का चलन बंद करें

आयुर्वेदाचार्य ताराचंद शर्मा के अनुसार, बच्चों को बार-बार उनकी पसंद के बारे में पूछना उनकी भोजन आदतों को बिगाड़ सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि बच्चों को जो स्वादिष्ट लगता है, वह अक्सर तला-भुना, जंक फूड या मिठाई होता है। यह आदत धीरे-धीरे उनके वजन बढ़ने का कारण बन सकती है। इसके बजाय, माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि घर में हमेशा पोषण से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही उपलब्ध हो।

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बच्चों के भोजन में पोषण का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, बच्चों के भोजन में छह रस (स्वाद) — मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला — का संतुलन होना चाहिए। यह न केवल शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि खाने में विविधता भी लाता है।

स्वस्थ विकल्पों की सूची:

  1. फल और सब्जियां: मौसमी फल और हरी सब्जियां बच्चों के आहार में शामिल करें।
  2. घरेलू नाश्ता: घर पर बने हेल्दी स्नैक्स, जैसे मूंगफली, चना या मखाना।
  3. दूध और डेयरी उत्पाद: दूध, दही और पनीर जैसे उत्पाद हड्डियों और मांसपेशियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  4. सूखे मेवे: बादाम, अखरोट और किशमिश ऊर्जा का अच्छा स्रोत हैं।

स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें

शारीरिक गतिविधि की कमी और लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहना बच्चों में मोटापे का एक मुख्य कारण है। बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने के लिए उन्हें आउटडोर खेलों में शामिल करें। इसके अलावा, परिवार के साथ वॉक या योगा करने की आदत डालें।

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सोने और जागने का सही समय

आयुर्वेद में दिनचर्या का बहुत महत्व है। बच्चों के लिए समय पर सोना और उठना न केवल उनकी मानसिक सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि यह उनके वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। रात में देर तक जागने और सुबह देर से उठने की आदत से बच्चों का मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है।

जंक फूड की जगह हेल्दी फूड की आदत डालें

बच्चों को जंक फूड के नुकसान समझाने के बजाय उन्हें हेल्दी फूड की आदत डालने पर जोर दें। उदाहरण के लिए:

  • पिज्जा की जगह मल्टीग्रेन रोटी या पराठा।
  • कोल्ड ड्रिंक्स की जगह नींबू पानी या ताजे फलों का रस।

माता-पिता का रोल मॉडल बनना जरूरी

बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। इसलिए, अगर आप स्वयं हेल्दी भोजन खाते हैं और नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, तो बच्चे भी उसी आदत को अपनाएंगे।

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आयुर्वेदिक उपाय

आयुर्वेदाचार्य ताराचंद शर्मा ने मोटापे को रोकने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय सुझाए हैं:

  1. त्रिफला चूर्ण: यह पाचन सुधारता है और शरीर में जमा फैट को कम करने में मदद करता है।
  2. दालचीनी और शहद: सुबह गर्म पानी के साथ इसका सेवन मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
  3. गिलोय और आंवला रस: यह बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ वजन को संतुलित करता है।

बच्चों को मोटापे से बचाना एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जो सही आदतों, संतुलित आहार और नियमित शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करती है। आयुर्वेदाचार्य ताराचंद शर्मा की सलाह न केवल बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि उनकी समग्र विकास प्रक्रिया में भी मदद करती है।

अगर हम इन उपायों को अपने बच्चों की दिनचर्या में शामिल करें, तो न केवल उनका मोटापा नियंत्रित होगा, बल्कि वे अधिक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी पाएंगे।

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