India News (इंडिया न्यूज), Blue Swollen And Twisted Veins Reason: बहुत से लोगों ने गौर किया होगा कि आपके पैरों में नीली, सूजी हुई या मुड़ी हुई कुछ नसें दिखने लगती हैं। इन नसों को देखकर अपने मन में कोई मामूली वजह सोचकर आपने हमेशा ही इन्हें अनदेखा किया होगा। कभी भी आपने ये पता लगाने की कोशिश नहीं की होगी कि ऐसा आपके साथ किसलिए हो रहा है? जानकारी के लिए आपको बता दें, जैसा मामूली आप इस बीमारी को सोच रहे हैं की ये कोई सामान्य या उम्र से जुड़ी हुई कोई समस्या हो सकती है तो, ऐसा सोचना अभी बंद कर दें क्योंकि इसे अनदेखा करना आपकी जान का दुशमन भी बन सकता है। ये कोई छोटे-मोटे लक्षण नहीं हैं बल्कि आपके अंदर छिपी गंभीर बीमारियों का संकेत होते हैं। इस तरह की नसें वैरिकोज़ वेन्स कहलाती हैं।
क्या हैं वैरिकोज़ वेन्स?
वैरिकोज़ वेन्स को वैरिकोसिटीज़ भी कहा जाता है, त्वचा के नीचे दिखाई देने वाली बढ़ी हुई, मुड़ी हुई नसें होती हैं. यह आमतौर पर पैरों में होती है, लेकिन यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी हो सकती है. यह आपके शरीर में रक्त संचार में बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा करती है, जिसे अगर समय रहते न रोका जाए तो दिल, फेफड़े या नसों से जुड़ी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस
अगर वैरिकोज वेन्स के साथ-साथ दर्द और सूजन भी बढ़ रही है तो यह डीवीटी का संकेत हो सकता है। यह एक खतरनाक समस्या है, जब नसों में रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जो हृदय या फेफड़ों तक पहुंचकर जानलेवा हो सकते हैं।
क्रोनिक वेनस इनसफीसिएंसी
यह स्थिति तब होती है जब नसों से रक्त ठीक से वापस हृदय तक नहीं पहुंच पाता है। इससे पैरों में सूजन, दर्द और थकान होती है। अगर यह लंबे समय तक जारी रहे तो इससे त्वचा को नुकसान और अल्सर भी हो सकता है।
ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर
इसके साथ ही ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर यानी शरीर में रक्त का थक्का जमना और पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें हाथ और पैरों में रक्त संचार रुक जाता है। इन दोनों ही स्थितियों में वैरिकोज वेन्स हो सकती हैं।
अनदेखा करना पड़ सकता है भारी
शरीर में वैरिकोज वेन्स के कई लक्षण देखे जा सकते हैं। इनमें पैरों में लगातार भारीपन या थकान, नसों में जलन या खुजली, चलते या खड़े होते समय दर्द, त्वचा का नीला या गहरा रंग, पैर की उंगलियों के आसपास सूजन या लालिमा, रात में पैरों में ऐंठन या झुनझुनी शामिल हैं। यह स्थिति अक्सर उन लोगों में ज़्यादा देखी जाती है जिनके पेशे में लंबे समय तक खड़े रहना पड़ता है, गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग लोग, मोटापा या कोई गंभीर बीमारी।