India News (इंडिया न्यूज), Kanchanar Guggulu Benefits: कांचनार गुग्गुलु, आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध पारंपरिक औषधि है, जिसे विभिन्न गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह दवा विशेष रूप से थायराइड फंक्शन, ट्यूमर, सिस्टिक सूजन, पीसीओएस, और अल्सर जैसी समस्याओं के समाधान में सहायक मानी जाती है। यह औषधि शरीर में अतिरिक्त कफ और तरल पदार्थ को सुखाने में मदद करती है, जिससे सूजन और गांठ को कम किया जा सकता है।
कांचनार गुग्गुलु की संरचना
इस आयुर्वेदिक औषधि में कई प्रभावी जड़ी-बूटियां शामिल होती हैं, जैसे:
- कचनार
- इलायची
- त्रिफला
- अदरक
- कालीमिर्च
- पिप्पली
- वरुण
- गुग्गुल
इन तत्वों के मेल से कांचनार गुग्गुल को सूजनरोधी, ट्यूमररोधी, मूत्रवर्धक और डिकॉन्गेस्टेंट गुण प्राप्त होते हैं।
पीसीओएस में उपयोगी
पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली एक सामान्य समस्या है। आयुर्वेद के अनुसार, कफ और मंद अग्नि (Manda Agni) की वृद्धि पीसीओएस का मुख्य कारण हो सकती है। कांचनार गुग्गुलु:
- कफ को संतुलित करता है।
- पाचन अग्नि को बढ़ावा देता है।
- अंडाशय के कार्य को बेहतर बनाता है।
सेवन विधि: गर्म पानी के साथ दिन में दो बार 1-2 गोलियों का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
थायराइड फंक्शन को सुधारें
थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म, वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। थायराइड की समस्याओं में कांचनार गुग्गुलु:
- कफ को संतुलित करता है।
- मेधा धातु को कम करता है।
- पित्त के कार्य में सुधार करता है।
सेवन विधि: गुनगुने पानी के साथ दिन में 1-2 गोलियों का सेवन थायराइड विशेषज्ञ की सलाह पर करें।
लिपोमा का समाधान
लिपोमा एक वसायुक्त गांठ है, जो त्वचा की परत के नीचे बनती है। आयुर्वेद में इसे मेदोज ग्रंथि से जोड़ा जाता है। कांचनार गुग्गुलु:
- कफ को संतुलित करता है।
- शरीर की विषाक्तता को कम करता है।
- लिपोमा के लक्षणों में सुधार लाता है।
सेवन विधि: डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित रूप से इसका सेवन किया जा सकता है।
कांचनार गुग्गुलु एक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है, जो न केवल गंभीर बीमारियों को दूर करने में सहायक है, बल्कि शरीर के स्वस्थ कार्यों को भी बढ़ावा देती है। इसका उपयोग करते समय हमेशा किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लेना आवश्यक है। गाजियाबाद स्थित परमार्थ आश्रम के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी के अनुसार, नियमित सेवन और सही दिशा-निर्देशों के पालन से इस दवा के लाभ अधिक प्रभावी हो सकते हैं।